कमेटी करती है निर्णय अस्पताल आने वाले सभी मरीजों को पहले कोविड जोन में भर्ती किया जाता है। इसके बाद ऐसे मरीज जिन्हें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, दिल या फेफड़ों संबंधी बीमारी नहीं होती है। ऐसे मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी की राय के बाद डे-केयर सेंटर भेज दिया जाता है। ऐसे मरीजों का अन्य मरीजों की तुलना में जल्द स्वस्थ होने की संभावना रहती है।
अब तक 80 का उपचार अस्पताल में बने डे-केयर में अब तक 80 लोगों का उपचार किया जा चुका है, जो स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। इसके अलावा 1 व्यक्ति का वर्तमान में डे-केयर में उपचार चल रहा है। चिकित्सक बताते हैं कि डे-केयर में सिर्फ ऐसे लोगों का उपचार चल रहा है, जो सिर्फ कोरोना से पीडि़त हैं और कोई बीमारी उन्हें नहीं हैं। ऐसे में वह जल्दी ही स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं। खास तौर से इसमें ऐसे मरीजों को तवज्जो दी जा रही है, जो ज्यादा गंभीर नहीं हैं और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए सेंटर पर दस बेड़ों की अलग से व्यवस्था की गई है। सुबह-शाम ऐसे मरीजों को यहां इंजेक्शन दिए जा रहे हैं।
इनका कहना है कोरोना के सामान्य मरीजों को सहूलियत देने के लिहाज से आरबीएम में डे-केयर बनाया गया है। यहां मरीजों को बेहतर सुविधा के साथ उपचार मिल रहा है। ऐसे मरीजों का यहां प्रतिदिन उपचार हो रहा है।
– डॉ. लक्ष्मण सिंह, कार्यवाहक सीएमएचओ, भरतपुर
डे-केयर में मरीजों को बेहतर उपचार चल रहा है। पिछले दस दिनों से मरीजों की संख्या में कमी आई है। यहां ऐसे मरीजों का उपचार किया जा रहा है, जो ज्यादा सीरियस नहीं है। ऐसे मरीज जल्दी स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं।
– डॉ. सुनील पाठक, कोविड केयर इंचार्ज, आरबीएम अस्पताल भरतपुर