बोले: एक बार आकर तो देखिए…पता चलेगा किस नर्क में जी रहे हम -सेक्टर नंबर 13 में नौ बीघा जमीन है। तीन लड़के हैं। तीनों पढ़ रहे हैं। कॉलेज में फीस जमा नहीं हो रही है। नौकरी के लिए पढ़ाई आवश्यक है। बेटी भी शादी के योग्य हो चुकी है। न जमीन मिली और न पैसा मिला सब तरह से बर्बाद हो गए। घर का गुजारा चल नहीं रहा है। आसपास के अन्य लोगों ने जमीन पर अवैध कब्जा भी कर लिया है।
बाबू सिंह पुत्र उमराव सिंह, अनाह
-सेक्टर नंबर 13 में झीलरा गांव में साढ़े 10 बीघा जमीन है। चार बीघा जमीन पर सड़क बना दी है। पहले इसी जमीन से परिवार का पालन पोषण करते थे। अब मजदूरी करनी पड़ रही है। अन्य लोगों को दो रुपए किलो गेहूं मिल रहा है लेकिन हमें तो वह भी नहीं चल रहा।
हरि प्रकाश पुत्र स्व. मिश्रीलाल, अनाह
-सेक्टर 13 में चार बीघा जमीन है मुआवजे को कई बार चक्कर लगाए। पहले हम एक किसान थे। अब हम बेरोजगार हैं। खाने के लिए अनाज करते थे। अब बाजार से खरीदना पड़ता है। खेती में ही व्यस्त रहते थे।
दरब सिंह पुत्र खूबीराम, अनाह
-12 साल से दर दर की ठोकर खा रहे हैं कई बार यूआईटी के चक्कर लगाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पैसों के अभाव में बच्चों को पढ़ा भी नहीं सकते। घर का खर्चा चलता नहीं है। पैसे की जरुरत होने पर जमीन गिरवी रखनी पड़ रही है।
देवेंद्र सिंह पुत्र वीर सिंह, अनाह
-साढ़े तीन बीघा जमीन है। बिजली के बिल तक को पैसे नहीं हैं। बच्चों को बगैर लाइट के ही पढ़ा रहे हैं। बच्चों को अच्छी तरह पढ़ा ही नहीं सकते। आखिर सरकार हमारा मुआवजा क्यों नहीं देती है।
किशन सिंह पुत्र मनफूल, विजयनगर बरसो का नगला
-रामपुरा सेक्टर नंबर 13 में हमारे पास में पांच बीघा जमीन है। सरकार इतने समय से जमीन को घेरकर पड़ी है। न तो बच्चों की पढ़ाई करा रहे हैं और न घर का खर्चा चल रहा है। लॉकडाउन के बाद बुरी हालत हो गई। पैसे-पैसे को मोहताज हो गए हैं।
जय प्रकाश, बरसो का नगला
-बरसो के नगला में सात बीघा जमीन है। 12 साल हो गए, कोई मुआवजा नहीं मिला। सरकार ने रोड डाल दी है। न तो खेती कर पा रहे हैं न मुआवजा मिला है। आखिर परिवार का पालन पोषण किस तरह किया जाए।
तेज सिंह पुत्र जंगी, बरसो का नगला
-12 साल से एक-एक पैसे को मोहताज हो गए। सरकार ने जमीन छीन ली है। महंगाई इतनी है कि खर्चा नहीं चल रहा है। तीन बीघा जमीन है हमारे पास। पहले पशुओं को चारा आ जाता था, लेकिन अब बाजार से खरीद कर खिलाना पड़ता है। हम बर्बाद हो गए हैं।
ओमवती पत्नी बने सिंह, विजय नगर बरसो का नगला
-मेरे पास सिर्फ एक बीघा जमीन है। इससे मैं अपने परिवार का पालन पोषण करता था। युवती ने अटका कर पटक दिया है। पैदावार की गई और मुआवजा भी नहीं मिला। पहले खेती कर गेहूं आ जाते थे। इससे खाने के काम आ जाते थे।
किशनलाल पुत्र राधेश्याम, विजयनगर
-रामपुरा में छह बीघा भूमि है। 25 प्रतिशत विकसित भूखंड देने का वादा किया गया था, लेकिन न तो 25 प्रतिशत जमीन मिली न मुआवजा मिला। दो लड़के हैं उनकी शादी तक नहीं हुई है। मजदूरी कर रहे हैं। आखिर घर का खर्चा कैसे चले।
ओमप्रकाश पुत्र छोटेलाल, विजयनगर