नेताजी एक बार जाकर देखिए…जिंदगी की जंग लड़ रहे खातेदार -मेरी जमीन में दो बोरिंग हो रहे हंै उसका भुगतान भी नहीं हुआ है। आखिर कैसे भुगतान होगा। पैसे के अभाव में परेशान हूं। 20 दिन पूर्व लड़की की भी दुर्घटना से मौत हो गई। उसकी एक पुत्री है। आखिर कहां से घर का खर्चा चलाएं, तीन बेटे हैं, जो कि मजदूरी करते हैं।
छोटी, रामपुरा
छोटी, रामपुरा
-रामपुरा में हमारी पांच बीघा जमीन है। यूआईटी के चक्कर पर चक्कर लगाते हैं पर कोई सुनने वाला नहीं है क्योंकि सरकार को तो कोई चिंता है नहीं। इसमें किसानों का नुकसान हुआ है। मेरे पास एक लड़का, एक लड़की है। बाजार से गेहूं खरीद कर गुजर बसर कर रहा हूं।
पुरुषोत्तम, गांव मलाह
पुरुषोत्तम, गांव मलाह
-मेरे पास रामपुरा में चार बीघा जमीन है। सरकार गरीब मजदूर, किसान, श्रमिक के लिए पलायन करने को मजबूर कर रही है। हम चिकित्सा राज्यमंत्री के पास 24 नवंबर 2020 को एक प्रतिनिधिमंडलों को लेकर मिले थे। इसमें उन्होंने आश्वासन भी दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है सरकार या तो जमीन का निस्तारण करे या फिर हम आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। सरकार हमारे धैर्य की परीक्षा न ले।
सुरेश धर्मपुरा, हाल निवासी विजय नगर कॉलोनी
-रामपुरा में आठ बीघा जमीन है। 12 साल से नगर सुधार न्यास की ओर से जमीन एक्वायर कर ली गई है। सरकार न तो पट्टा देती है और न जमीन देती है। मैं अपने परिवार का लालन-पालन इसी जमीन से करता था। सरकार बहरी हो गई है, आंखों से अंधी है या तो हमारी जमीन दी जाए या हमें मुआवजा दिया जाए। अगर नहीं दिया तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
गोविंद सिंह विजय नगर, बरसो का नगला
-सरकार ने जमीन ले ली और मुआवजा नहीं दिया। तीन लड़के हैं जो ईंट भट्टों पर मजदूरी कर रहे हैं। मेरी पत्नी की तबियत भी खराब रहती है। उसकी बीमारी के लिए भी पैसा चाहिए। आखिर कहां से लाऊं। रामपुरा में जमीन होते हुए भी पैसे-पैसे को मोहताज है।
चुन्नी, विजय नगर कॉलोनी
चुन्नी, विजय नगर कॉलोनी
-परिवार बड़ा है इसलिए घर के खर्चे बहुत हो रहे हैं। रोजगार कुछ है नहीं। सात बच्चे हैं। दो लड़की, पांच लड़का। रामपुरा में साढ़े सात बीघा जमीन है, फिर भी बच्चे ठोकर खा रहे हैं। आज हमारे पास जमीन होती तो हम खेती कर अपनी गुजर बसर कर रहे होते।
कंचनदास, विजय नगर
कंचनदास, विजय नगर
-बेटी शादी के लिए सयानी हो गई है। पैसा पास है नहीं। आठ बीघा जमीन रामपुरा में है। जिला कलक्ट्रेट और यूआईटी के चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो गए, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
देवीदास विजयनगर, बरसो का नगला
देवीदास विजयनगर, बरसो का नगला
-हम चार भाई हैं। तीन बीघा जमीन रामपुरा में है। सभी मकान बनाने का काम करते हैं लेकिन फिलहाल कोई काम नहीं मिला। सभी बेरोजगार हैं। परिवार का पालन पोषण नहीं कर पा रहे हैं। सरकार हमारी जमीन हमें दे या फिर मुआवजा देगी तो हम काम कर सकते हैं।
महेश विजय नगर, बरसो का नगला
महेश विजय नगर, बरसो का नगला
-चार भाइयों में पांच बीघा जमीन है। मेरे एक पुत्र व पांच पुत्रियां हैं। कर्जा लेकर पुत्रियों की शादी की है। अभी भी डेढ़ लाख रुपए कर्जा है। पुत्र बेरोजगार हैं। खेती होती तो दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ती। सरकार हमारी जमीन का मुआवजा दे दे तो हम चैन की जिंदगी जी सकते हैं।
लक्ष्मण सिंह विजयनगर, बरसो का नगला
लक्ष्मण सिंह विजयनगर, बरसो का नगला
-रामपुरा में हमारी तीन बीघा जमीन है। इसके बावजूद चार भाई बेरोजगार घूम रहे हैं। अगर जमीन होती तो आज हम खेती कर परिवार का पालन पोषण कर रहे होते। गेहूं के एक-एक दाने को मोहताज हैं।
बंटू विजयनगर, बरसो का नगला