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भरतपुर

समितियों पर उलझन में छिपा है मेयर का गणित

बोर्ड गठन के ढाई साल बाद भी समितियों के गठन पर उलझन-90 दिन में करना होता है गठन, सत्तापक्ष के पार्षदों में नजर आ रही खासी नाराजगी-क्योंकि समितियां बनने से पार्षदों के पास रहेगी हरेक सूचना

भरतपुरApr 27, 2022 / 07:05 am

Meghshyam Parashar

समितियों पर उलझन में छिपा है मेयर का गणित

समितियों पर उलझन में छिपा है मेयर का गणित

भरतपुर. बोर्ड चाहे भाजपा का हो या कांग्रेस का…नगर निगम में समितियों को लेकर गुटबाजी हमेशा होती रही है। यही कारण है कि नगर निगम की साधारण सभा की करीब आठ बैठक भी हो चुकी है और दो साल का समय भी गुजर चुका है, लेकिन समितियों का गठन अभी तक नहीं हो पाया है। इसके पीछे भी प्रमुख समितियों का अध्यक्ष बनाने को लेकर गुटबाजी की बात सामने आ रही है। हालांकि कुछ माह पहले बैठक में मुद्दा उठने पर मेयर ने भी कहा था कि नगर निगम में अब चुने हुए पार्षदों में से ही बेहतर काम करने वालों को समितियों का मुखिया बनाने के लिए काम किया जा रहा है। हकीकत यह है कि नगर निगम में कभी आयुक्त से मेयर का विवाद तो कभी मेयर से पार्षदों का विवाद तो कभी सफाई ठेका विवाद के कारण समिति की बात ज्यादातर जुबानी बनकर ही रह गई। खुद कांग्रेस का बोर्ड भी समिति गठन को लेकर पूरे दो साल चुप ही नजर आया है। पुराना इतिहास उठाकर देखें तो संगठन व महापौर की सलाह से ही समितियों का गठन किया गया है। सत्तापक्ष व विपक्षी पार्टी के पार्षदों की मंशा है कि समितियां जल्द बनें, ताकि चुने हुए पार्षद भी बिना समय गंवाए जिस समिति में आएंगे उसमें काम करना शुरू कर देंगे। साथ ही हर समस्या का समाधान पहले समिति का जो अध्यक्ष एवं टीम होगी वह दूर करें और वहां समाधान नहीं होता है तब उनके पास प्रकरण आए और मिल बैठकर समाधान करें।
ये हैं पांच बड़ी समितियां

1. निर्माण समिति: यह सबसे बड़ी समिति होती है। पूरे शहर के विकास का विजन एवं योजना इस समिति के पास होती है।

2. गैरेज समिति: नगर निगम के पास जितने संसाधन होते हैं, वह इस समिति के पास होती है।
3. स्वास्थ्य समिति: शहर की साफ-सफाई का जिम्मा इस समिति के पास होता है, समिति के पास स्वच्छता सर्वेक्षण का बड़ा जिम्मा होता है।

4. विद्युत समिति: इस समिति में शहर की स्ट्रीट लाइट का कार्य होता है। इसके अधीन शहर में रोशनी का कार्य होता है।
5. अतिक्रमण निरोधक: शहर में होने वाले अतिक्रमणों को हटाने का कार्य इस समिति के पास है। अतिक्रमण शहर का बड़ा मुद्दा है, अस्थायी अतिक्रमण जगह-जगह सामने हैं।

नियम: 90 दिन में बनानी होती है समितियां
राजस्थान नगरपालिका एक्ट 2009 की धारा-55 की उपधारा पांच के तहत बोर्ड के गठन से 90 दिन की अवधि में कमेटियों का गठन होना आवश्यक है। नियम के अनुसार यदि 90 दिन में कमेटी गठित नहीं होती है तो सरकार कमेटियां गठित कर सकती है।
पिछले दोनों बोर्ड में बनी समितियां, लेकिन अधिकारों पर लड़ाई

नगर निगम के पिछले दो बोर्ड के कार्यकाल में कमेटियां तो बनाई गई, लेकिन अधिकारों पर लड़ाई जारी रही। 15 कमेटियां करीब दो साल का कार्यकाल गुजरने के बाद बनाई गई थी। अध्यक्ष अधिकार मांगते हुए परेशान हो गए तो कमेटियां का कार्य भी फ्लॉप रहा। चूंकि सरकार ने सत्ता के विकेंद्रीकरण और समुचित मॉनीटरिंग के लिए कमेटियों का प्रावधान किया। इसलिए वित्त कमेटी को जहां पांच करोड़ तक के प्रस्ताव लेने का अधिकार था, किंतु मेयर को उस समय दो करोड़ और आयुक्त को एक करोड़। दूसरा, कमेटियों के पास पत्रावलियां जाने से बहुत से अंदरूनी बातें शेयर होती हैं। ऐसे में कोई भी मेयर नहीं चाहता कि उससे ज्यादा अधिकार दूसरों के पास रहे। इसलिए कमेटियों का गठना करना चुनौती बना रहता है।
इन 15 कमेटियों का हुआ था गठन

कार्यकारिणी समिति, वित्त समिति, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता इंद्रपाल सिंह स्वास्थ्य अधिकारी, निर्माण समिति, भवन अनुज्ञप्ति एवं संकर्म समिति, गंदी बस्ती सुधार समिति, नियम एवं उपनियम समिति, अपराधों का शमन और समझौता समिति, विद्युत एवं सार्वजनिक प्रकाश समिति, उद्यान एवं पर्यावरण समिति, पशु नियंत्रण एवं संरक्षण समिति, लोक वाहन समिति, लाइसेंस समिति, नगरीय विकास कर समिति, अग्नि शमन निरोधक समिति।
दो साल में कब-कब हुईं बैठक

– 22 जनवरी 2021, 13 फरवरी 2021, 25 जून 2021, छह अप्रेल 2021, 29 सितंबर 2021, 12 जनवरी 2022, 10 फरवरी 2020, 27 दिसंबर 2019 को नगर निगम की साधारण सभा की बैठक हुई, लेकिन कमेटी गठन की मांग पार्षदों ने सिर्फ दो ही बैठकों में उठाई।
सवाल मांगते जवाब

-अब तक किसके दवाब में कमेटियों का गठन नहीं हुआ?

-मेयर, सत्तापक्ष व विपक्षी पार्षद इसको लेकर चुप क्यों हैं?

-डीएलबी ने भी अब तक कमेटी गठन क्यों नहीं किया है?
-क्या खुद सरकार ही कमेटी गठित करना नहीं चाहती हैं?

इनका कहना है

डीएलबी से लिया जाएगा परामर्श

-अभी कमेटियां नहीं बनी है। कमेटियां 90 दिन के अंदर बननी चाहिए थी। बोर्ड बनने के कुछ समय बाद ही कोरोनाकाल आ गया, लेकिन अब स्वायत्त शासन विभाग के अधिकार क्षेत्र में यह मामला आता है। जल्द ही परामर्श लिया जाएगा।
अभिजीत कुमार
मेयर, नगर निगम

मेयर नहीं चाहते कमेटियां बनाना

-खुद मेयर नहीं चाहते हैं कि कमेटियां बनाई जाएं। क्योंकि सफाई ठेका हो या अन्य कोई ठेका, सभी में खुलेआम में लाभ की मुहिम चलाई जा रही है। खुद कांग्रेस के पार्षद भी मेयर की कार्यशैली से परेशान हो चुके हैं। इसलिए मेयर कमेटियां बनाकर अपनी शक्तियों को बांटना नहीं चाहते हैं।
कपिल फौजदार
नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम

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