अनेक किस्में
यहां लंगडा, केसर, दशहरी, चौसा, बादामी आदि आम की कई किस्में हैं। देसी आम के पेड़ के फल से अचार व मुरब्बा बनता है। यहां से किसानोंं को आम की पौध भी दी जाती है।
यहां लंगडा, केसर, दशहरी, चौसा, बादामी आदि आम की कई किस्में हैं। देसी आम के पेड़ के फल से अचार व मुरब्बा बनता है। यहां से किसानोंं को आम की पौध भी दी जाती है।
सघन बागवानी में फल जल्दी
आम की बागवानी में फलों को पकने के लिए गर्मी की जरूरत पड़ती है। सघन बागवानी में फल जल्दी आना शुरू हो जाता है। साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी अधिक होता है। पौधों की कटाई-छंटाई करके उन्हें छोटा रखा जाता है। इसमें खाद, पानी, सूर्य की रोशनी आदि का पूरा उपयोग होता है।
आम की बागवानी में फलों को पकने के लिए गर्मी की जरूरत पड़ती है। सघन बागवानी में फल जल्दी आना शुरू हो जाता है। साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी अधिक होता है। पौधों की कटाई-छंटाई करके उन्हें छोटा रखा जाता है। इसमें खाद, पानी, सूर्य की रोशनी आदि का पूरा उपयोग होता है।
मोहन जोशी — भुसावर