Rajasthan Election 2023: भाजपा-कांग्रेस का खेल बिगाड़ने उतरे AIMIM चीफ ओवैसी, किया ऐसा बड़ा दावा
जानकारी के अनुसार 5 अक्टूबर को प्रदेश सरकार की ओर से जारी किए गए फरमान से पर्यटकों को करंट का सा झटका लगा है। सरकार ने एक आदेश जारी कर नया नियम लागू कर दिया है कि यदि कोई पर्यटक ई-रिक्शा में सवार होकर घना राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण करता है तो उसे अपने साथ नेचर गाइड लेना अनिवार्य होगा। घना उद्यान प्रशासन ने सरकार के नए नियम की पालना सुनिश्चित करने के लिए यहां 90 ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन किया है। पर्यटक यदि ई-रिक्शा की सवारी करना चाहता है तो उसे 2 घंटे के एवज में 800 रुपए का भुगतान करना होता है। एक ई-रिक्शा में अधिकतम 4 सवारी ही सवार हो सकती हैं।Rajasthan Election 2023: पिछले चुनाव में निर्दलियों ने बिगाड़ा जीत का गणित, 5 सीटों पर कर दिया था ऐसा खेल
साथ ही ई-रिक्शा में घना भ्रमण करने वाले को नेचर गाइड की अनिवार्यता के चलते उसे 2 घंटे के 800 रुपए भुगतान करना होगा। इस प्रकार ई-रिक्शा में बैठकर 2 घंटे भ्रमण करने पर पर्यटक को कम से कम ई-रिक्शा एवं नेचर गाइड के 1600 रुपए तो देने ही होंगे। खास बात यह है कि ई-रिक्शा पर्यटकों को कम से कम दो घंटे के लिए लेना ही होगा। इसके अलावा पर्यटक को टिकट भी खरीदना अनिवार्य है। यही वजह है कि सरकार के नए नियम से जहां एक ओर नेचर गाइड की बल्ले-बल्ले होने लगी है। वहीं पर्यटकों की जेब ढीली हो रही है।डीएफओ का अपना तर्क
सरकार ने 5 अक्टूबर को ही आदेश जारी किए हैं कि किसी वाहन में सवार होकर घना भ्रमण करने वाले पर्यटक को नेचर गाइड साथ लेना अनिवार्य है। उन्हीं नियमों की पालना में घना में पर्यटकों को नेचर गाइड उपलब्ध कराया जा रहा है। यह सही बात है कि इस नियम के चलते खासकर स्थानीय पर्यटकों को परेशानी हो रही है। उन्हें मजबूरन नेचर गाइड साथ लेना पड़ रहा है और भुगतान भी करना पड़ रहा है। हमने इस बात को गौर किया है और इस संबंध में उच्च अधिकारियों और सरकार को लिखा है। ताकि नेचर गाइड की अनिवार्यता खत्म हो या उनके मेहनताना शुल्क में कोई कमी की जा सके।
– मानस सिंह डीएफओ, केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान
– अनुज कुमार, निवासी मैनपुरी उत्तरप्रदेश