साहब…सालों से घर और किस्मत दोनों पर ही छाया है अंधेरा सिमको के पूर्व कर्मचारी गव्वर सिंह, कप्तान सिंह, छत्तर सिंह, कैलाश यादव, मंगली, चरणसिंह, अशोक, हरि, रमाशंकर, प्रभुनारायण, अजयपाल ने बताया कि अब तक उनका पूरा हिसाब तक नहीं किया गया है। कुछ कर्मचारी अब भी काम कर रहे हैं। अब तो 70 कर्मचारी बचे हुए हैं। 12-13 पुराने व बाकी नए कर्मचारी है। पिछले काफी सालों से अंधेरे में ही रह रहे हैं। 95 हजार रुपए इक_ा कर बिजली कनेक्शन कराने की कोशिश की तो सिमको प्रबंधन ने कनेक्शन नहीं होने दिया। अजयपाल ने बताया कि 17 जुलाई से क्वार्टर पर ताला लगा हुआ था। उसे भी तुड़वा दिया गया है। बड़ा भाई राजकुमार मानसिक रोग से पीडि़त था। उसे भी घर से बाहर निकाल दियाग या। यहां 400 मकान थे, सिर्फ 100 मकान रह गए हैं।
जो यूनियन की बैठक में पहुंचे, उनको भी नौकरी से निकाला बताते हैं कि सिमको के पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों के बकाया भुगतान समेत विभिन्न समस्याओं को लेकर सिमको बचाओ संघर्ष समिति की ओर से विरोध व्यक्त किया जा रहा है। इस बैठक में जो भी कर्मचारी शामिल होने के लिए पहुंचते हैं, उनकी मुखबिरी कराते हुए पहचान कर सिमको प्रबंधन की ओर से उन्हें ही नौकरी से निकाल दिया जाता है। विजय सिंह, मोहनस्वरूप, रिंकू, संतकुमार, गजराज सिंह, मनोज सारी यूनियन की बैठक में आए थे तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया। लॉकडाउन के दौरान भी काफी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। हकीकत यह है कि कर्मचारियों की ओर से इसकी शिकायत भी प्रशासनिक अधिकारियों से की थी, क्योंकि केंद्र सरकार लॉकडाउन के दौरान किसी भी प्राइवेट संस्थान के कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकालने का आदेश दिया था।
-सिमको प्रबंधन की ओर से उनके क्र्वाटरों के जर्जर होने व अवैध रूप से लोगों के रहने की शिकायत की है। इस संबंध में प्रकरण की जांच की जा रही है। जहां क्वार्टर बने हुए हैं, वह भूमि सिमको प्रबंधन के आधिपत्य की है।
नथमल डिडेल
जिला कलक्टर
-यह सबकुछ आवंटित जमीन को खुर्द बुर्द करने के लिए किया जा रहा है। यह सब स्थानीय प्रशासन व राजनेताओं को भी मालूम है। यह सभी कर्मचारी एफआइआर भी दर्ज करा चुके हैं। प्रशासन को चाहिए कि कर्मचारियों का पक्ष जानकार उसकी जांच कराकर कार्रवाई करे।
कृपालसिंह ठेनुआ
अध्यक्ष भारतीय श्रमिक संगठन सिमको