आज भी महादेव के नाम पर है 22 एकड़ का रकबा उनके शिष्यों के वंशज आज भी संत की समाधि के पास बसे हटीपा गांव में निवास करते है। प्रतिवर्ष धुलेंडी के दिन हटीपा बाबा की समाधि पर मेला लगता है। किसान खेतों में हंसिया डालने से पहले धूलेंडी के दिन शंकेश्वर महादेव और हटीपा बाबा की समाधि पर गेहंू की बाली चढ़ाते है। इस बारे में गांव के बाबा प्रेमपाल बताया कि इस समय गांव में खैमा, मुन्ना, विजयपाल, धनेश, गोपाल, सुरेंद्र, पप्पू, सोनू आदि समेत करीब 12 परिवार रहते है। इनमें से कुछ परिवार हटीपा बाबा की सेवा में लगे हुए हैं। श्रवणी केवल वही लेते है जो बाबा की पूजा अर्चना में लगे हुए है। हटीपा बाबा की समाधि पर सेवा में लगे बाबा बलवीर सिंह ने बताया कि होली के बाद फसल की कटाई के बाद गांव के कुछ परिवार श्रावणी लेने गांव-गांव जाते हैं। किसान दो से पांच किलो तक गेहूं श्रावणी के रूप में देते है। शंकेश्वर महादेव का नाम आज भी 22 एकड़ का रकबा है।