उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की ओर से धर्म नगरी मथुरा और ताज नगरी आगरा आने वाले पर्यटकों के लिए फरह के निकट जोधपुर झाल वेटलैंड विकसित किया जा रहा है। टर्मिनल नहर और सिकंदरा राजवाह के मध्य करीब चार किलोमीटर की परिधि में फैले जोधपुर झाल वेटलैंड के प्राकृतिक स्वरूप को संरक्षित किया जा रहा है। इसके लिए ईको-सिस्टम विकसित किया गया है। आवासीय पक्षियों के प्रजनन को बढाने और सुरक्षित करने के लिए लिए झाल में घना जंगल भी तैयार होगा। यहां सिविल कार्य फरवरी तक पूरा किया जाएगा। वहां सात वाटर बॉडी, 13 आइसलेंड और 13 हट के साथ 2200 रनिंग मीटर नेचर वॉक भी विकसित होगी।
जोधपुर झाल पर 192 प्रजातियां रिकॉर्ड
जोधपुर झाल पर 192 प्रजातियों के पक्षियों को रिकॉर्ड किया गया, जिनमें 142 आवासीय प्रजातियां एवं 50 प्रवासी प्रजातियां हैं। यहां लुप्तप्राय और संकटग्रस्त पक्षियों की 15 प्रजातियां हैं। इसमें सारस क्रेन, ब्लैक-ब्रेस्टेड वीवर, स्ट्रीक्ड वीवर, बाया वीवर, गोल्डन ओरिओल, वूली-नेक्ड स्टॉर्क, स्ट्रॉबेरी फिंच, सिल्वरबिल, स्कैली ब्रेस्टेड मुनिया, तिरंगी मुनिया, ग्रीन बी-ईटर प्रमुख हैं।
यहां आने वाले प्रवासी पक्षी
बायोडायवर्सिटो रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल वेटलैंड पर स्थलीय व जलीय प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें ग्रेटर फ्लेमिंगो, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, बार-हेडेड गूज, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, टफ्टिड डक, ब्लूथ्रोट, कॉमन टील, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेलैग गूज, रूडी शेल्डक, मल्लार्ड, यूरेशियन कूट, यूरेशियन विजन, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल आदि प्रमुख हैं।