एसी तक की नहीं व्यवस्था सामान्य तौर पर जले हुए मरीजों के लिए ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है। इससे मरीज जलन जैसी तकलीफ से बचे रहते हैं, लेकिन यहां मरीज महज पंखे की हवा में ही खुद के घावों को भरते नजर आ रहे हैं। ज्यादा जली हुई अवस्था में पहुंचने वाले मरीज कई बार इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। लगातार शिकायत के बाद भी चिकित्साकर्मी मरीजों की पीड़ा की अनसुनी कर रहे हैं। ऐसे में मरीज यहां उपचार के बीच आहत होते नजर आ रहे हैं।
हर माह आते हैं करीब 60 मरीज आरबीएम अस्पताल की चौथी मंजिल पर बनाए गए वार्ड में प्रतिदिन करीब दो मरीज जली हुई अवस्था में पहुंच रहे हैं, जिनका उपचार अन्य मरीजों के बीच हो रहा है। इसके अलावा ऑपरेशन के बाद आने वाले मरीजों की संख्या भी प्रतिदिन दो से चार के बीच है। वहीं ईएनटी सहित मेडिकल संबंधी मरीज आने पर वार्ड में जगह कम बचती है। ऐसी स्थिति में यहां जले हुए मरीज महफूज नजर नहीं आते। कई मर्तबा मरीज ज्यादा होने की स्थिति में इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।