पत्रिका ने ऐसे किया मामले का खुलासा एकमात्र राजस्थान पत्रिका ने नौ मई के अंक में ‘गरीबों के हक की सांसों पर रसूख का साया, 10 मई के अंक में ‘खौफ: मरता, क्या नहींं करता …, 11 मई के अंक में ‘हाईकोर्ट पहुंचा निजी अस्पताल की मनमानी का मामला, 12 मई के अंक में ‘मनमानी पर नहीं टूट रहा जिम्मेदारों का मौन, 13 मई के अंक में ‘जिला कलक्टर-हॉस्पिटल संचालक को नोटिस जारी, 14 मई के अंक में ‘बड़ा सवाल … आखिर निजी अस्पतालों में कौन लिख रहा रेमडेसिविर, 15 मई के अंक में ‘अब भी मनमाने शुल्क की वसूली, बिल देने से इनकार, 16 मई के अंक में ‘अब केन्द्र सरकार का आदेश: आवंटित वेंटीलेटर्स की कराई जाएगी ऑडिट, 17 मई के अंक में ‘अफसरों ने लिया निजी अस्पतालों का जायजा, रेट लिस्ट तक नहीं मिली तथा 18 मई के अंक में ‘प्रशासन बांट रहा वेंटीलेटर, पीएमओ ने मांगे वापस, 19 मई के अंक में जिंदल हॉस्पिटल ने लौटाए पांच सरकारी वेंटीलेटर, 20 मई के अंक में प्रशासन का गणित: खानापूर्ति या मेहरबानी, 21 मई के अंक में राजकीय शोक के चलते टली सुनवाई, 22 मई के अंक में वेंटीलेटर प्रकरण में जिन पर दोष, सरकार ने उन्हें ही सौंपा जांच का जिम्मा, 25 मई को वेंटीलेटर के किराये पर फंसा पेंच, 26 मई को वेंटीलेटर प्रकरण: हाईकोर्ट की बेंच में हुआ सूचीबद्ध शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। अब तक सिर्फ राजस्थान पत्रिका ही इस प्रकरण को उठा रहा है।