बस से रात के नौ बजे गए और सुबह चार बजे वहां पहुंच गए। सत्संग में गई साबौरा की कमला ने बताया कि गांव से गुड्डी, हीरादेई सुक्को, कमला साथ थी। राजन देई सेवादार होने के कारण व्यवस्था संभालने में लग गई। अगर वह हमारे साथ होती तो आज वह भी जिंदा होती। मृतका राजन देई के दो पुत्र एव दो पुत्रियां है। पुत्रों की शादी हो गई है, जबकि पुत्रियां अभी अविवाहित है।
अव्यवस्थाओं को बताया हादसे का जिम्मेदार
सत्संग स्थल पर जो व्यवस्था की गई थी, उससे कई गुना ज्यादा लोगों के पहुंचने के कारण हाथरस में सत्संग के दौरान सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। क्योंकि आयोजन स्थल पर अव्यवस्थाओं का आलम था। गुड्डी ने बताया कि भीड़ ज्यादा होने के कारण पांडाल में जगह कम पडऩे पर लोग दलदल भरे मैदान में बैठने को मजबूर थे। वही दलदल लोगों की मौत का कारण बन गया।