लोगों के स्वास्थ्य पर फोकस सरकार इस योजना को लागू करने के पीछे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर करने की मंशा बता रही है। वन विभाग के अनुसार राजस्थान के वनों एवं वनों के बाहर हरियाली वाले क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की औषधीय प्रजातियों की उपलब्धता रही है, जिनका प्रयोग आदिकाल से आयुर्वेद तथा परंपरागत ज्ञान के अनुरूप स्वास्थ्य रक्षण एवं चिकित्सा के लिए होता आया है। वर्तमान परिस्थतियों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जीवनशैली में परिवर्तन जैसे कारणों से स्थानीय लोग अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित रहते हैं। आयुर्वेद तथा परंपरागत ज्ञान व वनों में उपलब्ध औषधियों को लोगों के घरों, खेतों और निजी जमीनों के समीप उगाने के लिए सहायता करने से स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार करना इसका मुख्य ध्येय है।
इस वर्ष वितरण होने वाले पौधे
नीम 8000
जामुन 4000
बोटल ब्रश 1000
गूलर 500
बड़ 400
बेलपत्र 600
कचनार 200
करंज 1800
कदम्ब 3000
हैज 6000
चांदनी 1000
हिमेलिया 600
दिन का राजा 100
हरसिंगार 100
शीशम 2000
गुडहल 3500
शहतूत 2000
नागदोन 15000
पाखर 1000
अशोक 500
गुलदाऊदी 1300
रामबाण 1000
ग्वारपाठा 1000
अमरूद 1800
अर्जुन 200
चम्पा 500
लाल कनेर 2000
आम 1000
पारस पीपल 200