भरतपुर

सीएफसीडी के नाले पर अतिक्रमण हटाया

– पत्रिका ने उठाया था मामला, खबर का असर

भरतपुरOct 28, 2024 / 08:12 pm

Meghshyam Parashar

साढ़े चार घंटे में ढहाया तीन मंजिला शोरूम

शहर में सीएफसीडी के नाले पर अतिक्रमण कर बनाए गए तीन मंजिला भवन को जिला एवं नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों ने सोमवार को ढहा दिया। करीब साढ़े चार घंटे की मशक्कत के बाद एलएनटी मशीन ने गलबलिया ट्रेडर्स के भवन को जमींदोज कर दिया। इसको लेकर शहर में दिनभर खासी चर्चा रही।नगर निगम प्रशासन के अनुसार तिलक नगर के सामने गलबलिया ट्रेडर्स के नाम से सेनेटरी की तीन मंजिला दुकान थी। यह दुकान अतिक्रमण कर बनाई गई थी। नगर निगम ने इसको लेकर पूर्व में नोटिस दिया था। इसको लेकर भवन स्वामी हाईकोर्ट में गया था। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस निर्माण को अवैध माना। हाईकोर्ट ने कहा था कि सीएफसीडी की ड्रेनेज बाउंड्री से 30 फीट तक बफर जोर माना जाता है, जो नॉन कंस्ट्रक्शन रहता है। पटवारी की पैमाइश रिपोर्ट में माना गया कि इस भवन का कुछ हिस्सा बफर जोन में आ रहा था। इसके बाद सोमवार को नगर निगम प्रशासन ने इस अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया। अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम का दल सुबह 8 बजे मौके पर पहुंच गया। इसके करीब दो घंटे तक गलबलिया ट्रेडर्स के यहां से सामान निकलवाया गया। फिर बिजली के कनेक्शन काटकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सुबह 10 बजे शुरू की गई, जो करीब ढाई बजे तक चली। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान एसडीएम राजीव शर्मा, नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई, तहसीलदार, एक्सईएन सीएफसीडी बहादुर सिंह, नगर निगम सचिव विजय प्रताप, आरओ तेजराम मीना आदि मौजूद रहे। इस मामले को पत्रिका ने 26 अक्टूबर के अंक में ‘अतिक्रमण : नाले के बीचोंबीच बनाया व्यावसायिक परिसर, शीर्षक से प्रकाशित किया था।
अन्य निर्माण अभी भी बरकरार

गलबलिया ट्रेडर्स के आसपास कुछ और निर्माण कार्य हो रहे हैं। यहां कुछ दुकानें और बन रही हैं, जो सीएफसीडी के एरिया में आ रही हैं। सीएफसीडी के 80 फीट एरिया में और भी निर्माण कार्य हो रहे हैं, जो अतिक्रमण के दायरे में बताए गए हैं। नगर निगम का दावा है कि इन अतिक्रमणों को भी हटाने की कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर नगर निगम प्रशासन की ओर से नोटिस देने की कार्रवाई की जा रही है।
यह कहा था न्यायालय

न्यायालय ने आदेश में कहा कि पटवारी को कस्बा भरतपुर चक नंबर एक को आराजी खसरा नंबर 1302 का सीमाज्ञान कर इसमें हो रहे अवैध निर्माणों का सर्वे कर मौका रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। पटवारी की ओर से 29 जून 2018 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। पैमाइश रिपोर्ट के मुताबिक वादी का यह पुख्ता निर्माण आराजी खसरा नंबर 1302 रकबा 0.08 हैक्टेयर किस्म गैर मुमकिन खड्डा मकबूजा महकमा इंजीनियरिंग के नाम दर्ज रिकॉर्ड है, जिसका पुराना खसरा नंबर 373 रकबा 10 बिस्वा किस्म गैर मुमकिन नलची दर्ज रिकॉर्ड है। ऐसे में यह निर्माण गैर मुमकिन नलची/वर्तमान गैर मुमकिन खड्डा खसरा नंबर 1302 में मौजूद है। इस पर वादी कोई विधिक मालिकाना हक/अधिकार/स्वामित्व नहीं रखता है। ऐसे में इस निर्माण कार्य को अतिक्रमण माना गया।
यह था मामला

न्यायालय जिला न्यायाधीश के यहां मनोज कुमार गोयल एवं राजू उर्फ राजकुमार गोयल पुत्र पूरन चंद गोयल निवासी सूर्यपथ तिलक नगर ने राजस्थान राज्य जरिए जिला कलक्टर, अधिशासी अभियंता जल संसाधन विभाग, सचिव नगर सुधार न्यास, आयुक्त नगर निगम एवं उपखंड अधिकारी के खिलाफ वाद दायर किया था। इसमें स्टे लेने के लिए दायर किए वाद में बताया था कि योगेन्द्र कुमार गोयल से आराजी खसरा नंबर हाल बंदोबस्ती 3788 रकबा 7 एयर में से 10 गुणा 35 फीट के दो भूखंड 16 मार्च 1995 को जरिए रजिस्टर्ड बयनामा क्रय किए और यहां व्यावसायिक परिसर का निर्माण किया। पिछले करीब 20 वर्ष से यहां गलबलिया ट्रेडर्स के नाम से अपना व्यवसाय चला रहे हैं। हमारे व्यावायिक परिसर के विपरीत किनारे पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर नाले के बहाव क्षेत्र को अवरुद्ध करने का प्रयास किया और नाले में भर्त कर अतिक्रमण कर लिया, लेकिन प्रशासन ने अतिक्रमण नहीं हटाया। नोटिस में अतिक्रमण की कोई भी माप अंकित नहीं की गई है। इसमें यह भी कहा कि इसमें एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए बिना मौके का अवलोकन किए एवं बिना किसी युक्तियुक्त आधार के नोटिस जारी किया है।
अब अन्य दुकानदारों में भी मचा हडक़ंप

प्रशासन की ओर से वर्षों पुराने इस अतिक्रमण को हटाने के बाद अब एक नया सवाल और खड़ा हो गया है। क्योंकि जिस खसरा नंबर 1302 में इस अतिक्रमण को तोड़ा गया है, उसी खसरा नंबर में अन्य करीब 12 और दुकानों का निर्माण भी काफी समय पहले हो चुका है। चूंकि हाइकोर्ट की ओर से इस खसरा नंबर को गैर मुमकिन नलची माना गया है। ऐसे में अब अन्य दुकानों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने इस मामले में अभी तक कोई निर्णय नहीं किया है, लेकिन अब एक अतिक्रमण को तोडऩे के बाद उसी खसरा नंबर में निर्मित अन्य निर्माण को नहीं तोडऩा भी प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। हालांकि अधिकारी भी इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।

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