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भरतपुर

कंजौली आरओबी ऐसा…सड़क से लोहे के सरिया तक निकले, दीवारों में भी दरारें

-सात साल में ही क्षतिग्रस्त हो चुका है आरओबी, खतरे के बीच हर दिन निकल रहे वाहन-संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर, सांसद, जिले के सभी विधायक व मंत्री यहां से निकले, लेकिन किसी ने भी अब तक नहीं दिया ध्यान

भरतपुरAug 31, 2020 / 12:34 pm

Meghshyam Parashar

कंजौली आरओबी ऐसा...सड़क से लोहे के सरिया तक निकले, दीवारों में भी दरारें

कंजौली आरओबी ऐसा…सड़क से लोहे के सरिया तक निकले, दीवारों में भी दरारें

भरतपुर. सात साल में ही कंजौली रेलवे लाइन पर बना आरओबी क्षतिग्रस्त हो चुका है। सड़क में से लोहे के सरिया ही बाहर नहीं निकले हैं, बल्कि दीवारों में भी दरारें आ चुकी है। इस आरओबी से होकर आए दिन जिले के सभी विधायक, दोनो मंत्री, सांसद, संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर समेत तमाम पार्टियों के नेता व बड़े अधिकारी निकलते हैं, जो कि हर दिन कोई न मुद्दा उठाते रहते हैं, लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि एक भी नेता या अफसर ने इस आरओबी की हालत देखकर सुधार की बात तो दूर किसी बैठक में इसे उठाना तक उचित नहीं समझा है। यह कहना मुमकिन होगा कि कहीं न कहीं आरओबी के सच को स्वीकार करने से भी राजनेता व अधिकारी डर रहे हैं।
भरतपुर-डीग मार्ग स्थित कंजौली लाइन पर बना आरओबी संख्या-244 बी निर्माण के बाद से ही बार-बार मरम्मत के कारण चल रहा है। पुल के ऊपर रेलवे एरिया की सड़क में लोहे के सरिया निकल आए हैं। जो टायरों को खराब कर रहे हैं। आरएसआरडीसी ने इसका निर्माण जैन कंस्ट्रक्शन अजमेर एवं सतेंदर कुमार तिवारी ग्वालियर से कराया था। 24 सितंबर 2007 में 1490 लाख रुपए का कार्य आदेश जारी हुआ था। कंपनी ने 11 अक्टूबर 2008 को इसका निर्माण शुरू किया, जो कि 10 अगस्त 2009 को पूरा करना था। इसका निर्माण चार साल देरी से 25 जुलाई 2013 को पूरा हुआ। इस पर 1436.66 लाख रुपए की लागत आई। करीब 712 मीटर लंबाई और 7.50 मीटर चौड़ाई वाले इस आरओबी पर 25 जुलाई 2013 से यातायात शुरू हो चुका है।
घटिया निर्माण के कारण सुपुर्दगी लेने से डर रहे अफसर

29 जुलाई 2013 को आनन-फानन में रसूख के दबाव में आकर इस आरओबी का उद्घाटन कराया गया था। उस समय तत्कालीन जिला कलक्टर ने भी इसके निर्माण को लेकर सवाल उठाया था। कुछ समय बाद प्रकरण की जांच कराई गई थी, लेकिन यहां भी जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी मानने के बाद गड़बड़ी करने वालों के दबाव में आकर कार्रवाई इतिश्री कर दी गई। घटिया निर्माण के कारण ही रिडकोर और सार्वजनिक निर्माण विभाग इसे अपनी सुपुर्दगी में लेने को तैयार नहीं हैं। इतना ही नहीं इसकी दोष दायित्व अवधि भी 25 जुलाई 2016 को ही समाप्त हो चुका है।
अनदेखा कर निकल जाते हैं जनप्रतिनिधि

कंजोली लाइन ओवर ब्रिज का निर्माण अशोक गहलोत सरकार की ओर से 2013 में कराया गया था लेकिन उसके कुछ समय बाद ही इस ब्रिज की हालत खराब होती गई। इसमें गहरे गड्डों से वाहनों का निकलना मुश्किल होता है। साथ ही यह ब्रिज राज्य सरकार में चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग के विधानसभा इलाके में स्थित है। इस ब्रिज के सुधार के लिए लोगों ने कई बार मंत्रियों से भी गुहार लगाई है मगर उनकी गुहार पर कोई अमल तक नहीं किया गया लिहाजा ब्रिज की बदहाल स्थिति वैसी ही बनी हुई है।

-उस ब्रिज से होकर गया था और तब देखा कि यह ब्रिज राज्य सरकार की ओर से बनाया गया है लेकिन रेलवे लाइन के ऊपर वाला हिस्सा रेलवे की ओर से बनाया गया था। रेलवे लाइन के ऊपर वाला ब्रिज का हिस्सा बेहद बदहाल है। इसको लेकर संबंधित अधिकारियों को चार दिन के अंदर मरम्मत के निर्देश दिए हैं।
नथमल डिडेल
जिला कलक्टर

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