ऑडिट में ऐसे पाया फर्जीवाड़ा नगर पलिका की ओर से संवेदक कौशिक को वर्क ऑर्डर मात्र 25 लाख 54 हजार 326 रुपए का दिया गया था। जबकि संवेदक को एक लाख 15 हजार 648 रुपए का अधिक भुगतान संवेदक को अकारण व अनियमित रूप से वर्क ऑर्डर के विपरीत किया गया था। इसके अलावा नगर पालिका की ओर से लगााए वाहनों में कामां से भरतपुर आना व जाना करीब 130 किमी है। जबकि नगर पालिका के बिल में करीब 500 किमी की दूरी दिखाई गई है। इससें 370 किमी अतिरिक्त दर्शाकर फर्जीवाड़ा किया गया है। जबकि कामां से भरतपुर प्राइवेट ट्रेवल्स एक दिवस का भाड़ा मय चालक आना जाना एसी गाड़ी 15 सौ रुपए ले रही है। वहीं ऑडिट जांच दल को नगर पालिका के लेखा जोखा में करोड़ों रुपए की राशि का कोई अता पता नहीं है। ऐसे कई मामले सूचना अधिकार के तहत उजागर हुए है। साथ ही ऑडिट जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में इस फर्जीवाड़े को लेखा नियमों के अनुसार कपट र्दुविनियोग एंव राजस्व हानि पहुंचाने का दोष सिद्ध हो जाने के आधार पर ऐसे कार्मिको के विरुद्ध आपराधिक कृत्य किया हुआ माना जाकर मुकदमा दर्ज कराने की अभिशंषा की है, लेकिन अभी तक स्थानीय निकाय विभाग ने गबन के दोषी कार्मिको के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।