भरतपुर

मौसम की ‘बेरुखी’ से किसानों का रुख भी बदला, अब तिलहन फसलों का रकबा बढ़ा

साल दर साल घट रहा गेहूं, चना और ग्वार का रकबा, सरसों की खेती बढ़ी -आठ वर्ष पूर्व 1.60 लाख हैक्टेयर में होता था गेहूं, अब सिर्फ 1.20 लाख में सिमटा

भरतपुरMay 03, 2023 / 09:51 pm

Gyan Prakash Sharma

मौसम की ‘बेरुखी’ से किसानों का रुख भी बदला, अब तिलहन फसलों का रकबा बढ़ा

भरतपुर. बारिश की अनियमितता, अनिश्चितता और आसमान से पानी के वितरण की बेरुखी के कारण फसलों की बुवाई में किसानों का रुख भी बदल गया है। अब किसान खाद्यान्न और दलहन फसलों की बजाय तिलहन (सरसों) फसलों की पैदावार पर ज्यादा जोर देने लगा है। जिसके कारण खाद्यान्न का उत्पादन कम हुआ है और खाद्यान्न महंगे हुए हैं। किसान सरसों को बेचकर खाद्यान्न खरीदने लगे हैं।
पिछले सात वर्षों की पैदावर की बात करें तो गेहूं का रकबा करीब 40 हजार हैक्टेयर घटा है और सरसों का रकबा 60 हजार हैक्टेयर बढ़ा है। इसी प्रकार चना 800 हैक्टेयर कम हो रहा है तो तिल का उत्पादन 5500 हैक्टेयर से कम होकर सिर्फ 1200 हैक्टेयर में सिमट कर रह गया है। मसूर के उत्पादन की बात करें तो यह भी 790 हैक्टेयर से अब एक हैक्टेयर में रह गया है। ग्वार का उत्पादन वर्ष 2015 में 34 हजार 600 हैक्टेयर में था, लेकिन वर्ष 20222-23 में 427 हैक्टेयर ही रह गया।
बारिश (औसत 663.9 एमएम)
2015 397.0
2016 686.72
2017 399.09
2018 801.50
2019 593.34
2020 540.97
2021 779.34
2022 795.38
उत्पादन कम होने के ये हैं कारण
कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक देशराज सिंह के अनुसार खाद्यान्न एवं दलहन के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण बारिश की अनियमितता या कम बारिश है। साथ ही पैदावार में होने वाला खर्चा भी एक कारण है। क्योंकि सरसों में लागत कम लगती है, जबकि गेहूं में करीब डेढ़ गुना ज्यादा लागत लगती है। साथ ही जमीन में खारा पानी फिरने के कारण दलहन का उत्पादन सही नहीं होता है तो धान की कमी का कारण बारिश कम होना है। यहीं कारण है कि किसान सरसों का उत्पादन कर गेहूं सहित खाद्यान्न बाजार से खरीदता है। किसानों को खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत किस्म के बीजों का उपयोग करना चाहिए।
उनका कहना है कि किसानों को संरक्षित खेती पर जोर देना चाहिए। ग्रीन हाउस, शेड हाउस एवं लो टनल का उपयोग कर फल, सब्जी, फूल आदि की खेती में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसमें मुनाफा अधिक होता है और प्राकृतिक आपदा से भी बचा जा सकता है। संरक्षित खेती करने पर सरकार की ओर से भी 70-75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है।
पैदावर हैक्टेयर में
फसल वर्ष 2015-16 16-17 17-18 18-19 20-21 21-22 22-23
गेहूं 160073 160502 156364 142726 134130 90585 120000
जौ 2212 2080 2097 2097 1284 418 780
चना 3465 4168 3446 3850 3537 1170 2630
सरसों 203232 198341 182807 218330 233858 289634 261804
बाजरा 106355 108876 103068 105621 149247 138719 138222
ज्वार 50496 17978 40405 35995 36296 32695 51289
तिल 5588 3195 3015 2303 1573 1094 1276
ग्वार 34598 24150 18600 15312 1729 871 427
धान 2208 1445 380 59 1123 1191 1085
मसूर 790 – – – 164 229 01
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