डीग के जलमहलों में रंगीन फव्वारे देश-विदेशों में प्रख्यात होने के साथ दुनियाभर में आकर्षण का केंद्र हैं। इन फव्वारों में आधुनिकता से परे और प्राकृतिक सौंदर्यीकरण का अद्भुत समावेश है। जलमहलों में सैंकडों साल पुराने यह फव्वारे मैनुअल चलते हैं। जल महल के गोपाल भवन से केशव भवन, नंद भवन से कृष्ण भवन, सूरज भवन, सावन और भादो भवन तक फव्वारे एक साथ चलने पर वातावरण मे बिखरती इन्द्रधनुषी छटा देखते ही बनती हैं। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य है कि यह रंगीन फव्वारे बिना बिजली मोटर के हाइड्रोलिक सिस्टम से संचालित किए जाते हैं।कई प्रकार के रंगों से चलते हैं फव्वारे –
जल महल में स्थित किशन भवन के ऊपर करीब 6 लाख गैलन से अधिक पानी की क्षमता वाले विशाल टैंक के चारों ओर 450 से अधिक गोलाकर सुराग हैं। इस टैंक में बने सुरागों से जलमहलों के संपूर्ण क्षेत्र में लगे हजारों फव्वारे जुड़े हुए हैं। रंगीन फव्वारों के संचालन के लिए कई प्रकार के रंगों को अलग-अलग नालियों में भरकर पानी को छोडा जाता है।
ये होंगे कार्यक्रम – महोत्सव का आगाज मंगलवार को शोभायात्रा के साथ होगा। यात्रा गणेश मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, मुख्य बाजार, नई सड़क से होती हुई पुनः गणेश मंदिर पर संपन्न होगी। शोभायात्रा में महिला एवं बाल विकास विभाग के सानिध्य में 100 महिलाएं सिर पर मंगल कलश लेकर निकलेंगी। कार्यक्रम में दमखम-कबड्डी प्रतियोगिता के साथ ही लोक कलाकारों की ओर के रंग प्रस्तुति, दीपदान, जग-मग डीग, मूंछ एवं राधा-कृष्ण पोशाक प्रतियोगिता आयोजित होगी। शाम 4 बजे जलमहलों में रंगीन फव्वारों का संचालन होगा। साथ ही सांय जलमहलों में श्री राम भारतीय कला केंद्र नई दिल्ली द्वारा श्रीकृष्ण पर आधारित नृत्य नाटिका कार्यक्रम आयोजित होगा। उससे पहले जलमहलों के सरोवर पर सांय 6 बजे से 7 बजे तक 5000 दीपों का दीपदान होगा।