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भरतपुर

दो शहरों का भ्रमण कर पार्षद जानेंगे कंपनी की सफाई व्यवस्था

सफाई व्यवस्था विवाद: इंदौर या चंडीगढ़ का होगा निर्णय, दो दिन में बनाई जाएगी 21 सदस्यीय कमेटी, भाजपा-कांग्रेस, बसपा व निर्दलीय पार्षद रहेंगे कमेटी में शामिल

भरतपुरJun 27, 2021 / 08:55 am

Meghshyam Parashar

दो शहरों का भ्रमण कर पार्षद जानेंगे कंपनी की सफाई व्यवस्था

दो शहरों का भ्रमण कर पार्षद जानेंगे कंपनी की सफाई व्यवस्था

भरतपुर. साढ़े 19 करोड़ रुपए की सफाई व्यवस्था की जिस डीपीआर को लेकर हंगामा हो रहा है। अब उसका अंतिम निर्णय पार्षदों के दूसरे शहरों की सफाई व्यवस्था देखने के बाद ही निर्णय हो सकेगा। फिलहाल तीन महीने तक शहर की सफाई व्यवस्था पूर्ववत चलती रहेगी। उल्लेखनीय है कि नगर निगम की 25 जून को हुई बैठक में एजेंडा में प्रस्ताव संख्या 69 पर भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रह और परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्वीपिंग की डीपीआर स्वीकृति करने एवं उक्त कार्य पर तीन वर्षों में होने वाले 60.46 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर विचार को शामिल किया गया था। इसको लेकर पार्षदों ने जमकर विरोध किया था।
सफाई व्यवस्था का निरीक्षण करने के लिए गठित कमेटी में मेयर अलावा 19 पार्षद शामिल किए जाएंगे। इसमें कांग्रेस, भाजपा, बसपा व निर्दलीय पार्षदों को भी शामिल किया जाएगा। ताकि चारों समूह के पार्षदों की राय रिपोर्ट में शामिल की जा सके। सोमवार को कमेटी का गठन कर वरिष्ठ पार्षदों की बैठक में भ्रमण के लिए शहर का चयन किया जाएगा। निगम ने जानकारी की है कि मध्यप्रदेश के इंदौर व भोपाल में कंपनी सफाई का जिम्मा संभाल रही है। अगर इंदौर का चयन करते हैं तो भोपाल की दूरी भी अधिक नहीं है, पार्षदों को दोनों शहरों का भ्रमण कराया जाएगा। इसके अलावा अगर चंडीगढ़ जाते हैं तो मोहाली की भी सफाई व्यवस्था का अवलोकन कराया जाएगा। जुलाई माह में कोरोना गाइडलाइन व उच्च अधिकारियों से स्वीकृति लेने के बाद उन्हें रवाना किया जाएगा। कमेटी आने के बाद बैठक कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। तब जाकर इस प्रस्ताव को लेकर निर्णय होगा। हालांकि अभी इन चारों शहरों के मेयर व आयुक्त से भी भ्रमण को लेकर बात की गई है।
सफाई ठेका: नगर निगम में विवाद का बड़ा कारण

वर्ष 2018 से शहर के 65 वार्डों की सफाई, कचरा परिवहन, डो टू डोर कचरा कलेक्शन के कार्य का ठेका पुराना ही चल रहा है। जब ठेका कराने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तब कोई न कोई नोट चलाकर उसे आगे बढ़ाया जाता रहा है। चूंकि सफाई ठेका नगर निगम के लिए कमीशनबाजी का भी बड़ा माध्यम बनता रहा है। नियमों के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार होता रहा है। हालांकि ठेका किसी का भी हो, यह कमीशनखोरी नगर निगम के लिए चुनौती बनी रहेगी।
पूर्व में आयुक्त-मेयर विवाद में यही फाइल मुख्य कारण

बताते हैं कि तत्कालीन आयुक्त के समय भी वर्तमान सफाई ठेका का समय बढ़ाने के लिए स्वीकृति दी गई थी। उस समय सफाई व्यवस्था की नई प्रक्रिया की फाइल भी चल चुकी थी, इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी अंदरखाने शुरू हो चुका था। बताते हैं कि इसी फाइल को लेकर सबसे पहले विवाद का खेल शुरू हुआ था। भले ही महीनों तक चला यह विवाद बार-बार नए कारण बनाता रहा।
तर्क अपने-अपने

1. पार्षदों का तर्क है कि भ्रष्टाचार हो रहा है। कंपनी के कर्मियों से हम काम नहीं करा पाएंगे।

2. मेयर का तर्क है कि वर्तमान ठेका गैर कानूनी है। तीनों काम एक के पास ही होने चाहिए। ताकि सुपरविजन अच्छा हो सके।
इनका कहना है

-सोमवार तक कमेटी गठित हो जाएगी। इंदौर या चंडीगढ़ में से किसी शहर का चयन कर पार्षदों को सफाई व्यवस्था दिखाई जाएगी।
अभिजीत कुमार, मेयर नगर निगम

-पार्षदों के निर्णय अनुसार कमेटी गठित की जानी है। संभवतया अगले महीने में भ्रमण कराकर कमेटी से रिपोर्ट ली जाएगी।
डॉ. राजेश गोयल, आयुक्त नगर निगम

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