सफाई ठेका: नगर निगम में विवाद का बड़ा कारण वर्ष 2018 से शहर के 65 वार्डों की सफाई, कचरा परिवहन, डो टू डोर कचरा कलेक्शन के कार्य का ठेका पुराना ही चल रहा है। जब ठेका कराने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तब कोई न कोई नोट चलाकर उसे आगे बढ़ाया जाता रहा है। चूंकि सफाई ठेका नगर निगम के लिए कमीशनबाजी का भी बड़ा माध्यम बनता रहा है। नियमों के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार होता रहा है। हालांकि ठेका किसी का भी हो, यह कमीशनखोरी नगर निगम के लिए चुनौती बनी रहेगी।
पूर्व में आयुक्त-मेयर विवाद में यही फाइल मुख्य कारण बताते हैं कि तत्कालीन आयुक्त के समय भी वर्तमान सफाई ठेका का समय बढ़ाने के लिए स्वीकृति दी गई थी। उस समय सफाई व्यवस्था की नई प्रक्रिया की फाइल भी चल चुकी थी, इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी अंदरखाने शुरू हो चुका था। बताते हैं कि इसी फाइल को लेकर सबसे पहले विवाद का खेल शुरू हुआ था। भले ही महीनों तक चला यह विवाद बार-बार नए कारण बनाता रहा।
तर्क अपने-अपने 1. पार्षदों का तर्क है कि भ्रष्टाचार हो रहा है। कंपनी के कर्मियों से हम काम नहीं करा पाएंगे। 2. मेयर का तर्क है कि वर्तमान ठेका गैर कानूनी है। तीनों काम एक के पास ही होने चाहिए। ताकि सुपरविजन अच्छा हो सके।
इनका कहना है -सोमवार तक कमेटी गठित हो जाएगी। इंदौर या चंडीगढ़ में से किसी शहर का चयन कर पार्षदों को सफाई व्यवस्था दिखाई जाएगी।
अभिजीत कुमार, मेयर नगर निगम -पार्षदों के निर्णय अनुसार कमेटी गठित की जानी है। संभवतया अगले महीने में भ्रमण कराकर कमेटी से रिपोर्ट ली जाएगी।
डॉ. राजेश गोयल, आयुक्त नगर निगम