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भरतपुर

निगम प्रशासन व मेयर का विवाद जस का तस, ठेकेदार संघ ने भेजा सीएम को पत्र

-नगर निगम के मेयर व आयुक्त के बीच विवाद का मामला, आंतरिक कलह को समाप्त कराने के लिए बैठकों का दौर जारी

भरतपुरAug 28, 2020 / 03:34 pm

Meghshyam Parashar

निगम प्रशासन व मेयर का विवाद जस का तस, ठेकेदार संघ ने भेजा सीएम को पत्र

निगम प्रशासन व मेयर का विवाद जस का तस, ठेकेदार संघ ने भेजा सीएम को पत्र

भरतपुर. नगर निगम के मेयर व आयुक्त के बीच चल रहा विवाद अब भी समाप्त नहीं हो सका है। अब नगर निगम ठेकेदार संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर आरोप लगाया है कि मेयर की ओर से मात्र संवेदकों के भुगतान की फाइलों को लंबित कर अनावश्यक आक्षेप लगाकर भुगतान बाधित किया जा रहा है। जबकि मेयर ने बयान जारी किया है कि किसी भी ठेकेदार का भुगतान नहीं रोका गया है। एक भी फाइल उनके पास लंबित नहीं है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम के मेयर व निगम प्रशासन के बीच पिछले कुछ माह से विवाद की स्थिति बनी हुई है। जहां कलक्टर की पहल पर समझाइश के दौरान मेयर संबंधित अधिकारी का तबादला नहीं होने तक बात मानने से इंकार कर चुके हैं तो आयुक्त का दावा है कि उनके पास कलक्टर का न तो फोन आया और न उनसे इस बारे में कोई बात की गई है।
नगर निगम ठेकेदार संघ के अध्यक्ष दीपेंद्र शर्मा व महासचिव महेश चौधरी ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में कहा है कि मेयर ने कोषालय व बैंकों में जाकर भुगतान रुकवाए हैं। पत्र लिखकर यह भी कहा गया है कि उनके हस्ताक्षरों के बिना किसी भी संवेदक का कोई भी भुगतान नहीं किया जाए। जबकि कर्मचारी आदि के भुगतान नहीं रोके गए हैं। केवल मात्र संवेदकों के भुगतान रोकने का क्या उद्देश्य है? यह मेयर ही बता सकते हैं। नगर निगम आयुक्त की ओर से संवदकों के भुगतान की कार्रवाई नियमित एवं निष्पक्षता के साथ समय पर संपादित की जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान जारी लॉकडाउन में भी नियमित भुगतान किए गए।
अब मेयर व आयुक्त के समर्थन में हो रही गुटबाजी

नगर निगम में चल रहे विवाद के बीच अब गुटबाजी भी शुरू हो गई है। पिछले दिनों एक समाज के संगठन की ओर से ज्ञापन देने के बाद गुट सक्रिय हो रहे हैं। यही कारण है कि एक गुट की ओर से कभी ज्ञापन देकर तो दूसरे गुट की ओर से उसके विरोध में शिकायत की जा रही है। इतना ही नहीं अब एक गुट के साथ वर्तमान जनप्रतिनिधि के साथ इस मसले पर बात की गई है। जयपुर में दो बार उस गुट के साथ बैठक में प्रकरण को शांत कराने की कोशिश की गई है। हालांकि इसका कोई हल नहीं निकल सका है।
सितंबर के प्रथम सप्ताह में बुलाई जा सकती है बैठक

अब इस विवाद के बीच यह भी सामने आया है कि नगर निगम के मेयर की ओर से सितंबर के प्रथम सप्ताह में साधारण सभा की बैठक बुलाई जा सकती है। चूंकि अभी तक कांग्रेस के बोर्ड की सिर्फ दो बैठक 27 दिसंबर 2019 व 10 फरवरी 2020 को हुई हैं। बैठक हो सकती है या नहीं, इस पर निर्णय मेयर के पत्र के बाद ही होगा। इतना तय है कि अगर बैठक होती है तो उसका हंगामेदार होना तय है।
-पूर्व में मुझे एक करोड़ रुपए तक शक्तियां प्राप्त होने के बावजूद भी कार्य में पारदर्शिता रखने के लिहाज व सम्मान के लिहाज से एक लाख रुपए से अधिक की पत्रावलियां मेयर को अनुमोदन के लिए भेजी जाती थी, लेकिन उनकी ओर से शहर के विकास कार्यों को अवरुद्ध करने के उद्देश्य से उक्त पत्रावलियों में कोई न कोई अनावश्यक टिप्पणी अंकित कर विलंब किया गया। इसके कारण विविध बिलों का समय पर भुगतान नहीं हो पाया। मुख्य रूप से सफाईकर्मी ठेकेदार व ऑटो टिपर व अन्य सफाई वाहन, पेट्रोल पंप से पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति रोक दी गई थी। इसलिए प्राप्त शक्तियों के आधार पर एकल हस्ताक्षर से चेक ट्रेजरी पास होने भिजवाए गए।
नीलिमा तक्षक
आयुक्त नगर निगम

-मैंने किसी की भी फाइल को नहीं रोका है। कुछ प्रकरणों में जांच कराने व कार्रवाई के लिए लिखा था। बाकी आयुक्त को एक करोड़ रुपए तक के बिलों का भुगतान करने का अधिकार बताया गया है, ऐसे में वो जिस फाइल पर चाहें भुगतान कर सकती हैं। मैं बार-बार सिर्फ एक ही बात कह रहा हूं कि मेरी लड़ाई कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ है। जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं वो ही मुझ पर फाइल रोकने का झूठा आरोप लगा रहे हैं।
अभिजीत कुमार
मेयर नगर निगम

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