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भरतपुर

मिठाई दीपावली पर खांएगे, घटिया है या नहीं बाद में पता चलेगा

-मिलावट पर भारी विभाग की कार्यप्रणाली, अलवर से 15 से 20 दिन आती है रिपोर्ट-चार साल से रिक्त पड़ा है खाद्य निरीक्षक का एक पद

भरतपुरOct 30, 2020 / 01:15 pm

Meghshyam Parashar

मिठाई दीपावली पर खांएगे, घटिया है या नहीं बाद में पता चलेगा

मिठाई दीपावली पर खांएगे, घटिया है या नहीं बाद में पता चलेगा

भरतपुर. राज्य सरकार की ओर से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन यह बात जानकर आश्चर्य होगा कि आप जो मिठाई अब खरीद कर खा रहे हैं, वह असली है या नकली, इस बात का पता आपको दीपावली के बाद ही चल सकता है। क्योंकि विभाग के लचर नियम व कार्यशैली के कारण आज तक यहां स्थित लैब ही शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में खाद्य विभाग की ओर से नमूनों को जांच के लिए अलवर भेजा जाता है। जहां से करीब 15 से 20 दिन में रिपोर्ट आती है। यही कारण है कि जानकारी के अभाव में बड़ी मात्रा में खराब मिठाइयां भी लोग खा जाते हैं। बाजार से खरीदकर लाई गई इस मिठाई पर न तो कहीं गुणवत्ता युक्त मिठाई को टैग लगा होता है और न ही मिठाई की दुकान पर कोई गारंटी कार्ड। भरोसा किया जा सकता है तो सिर्फ खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से लिए गए सैंपल और उसकी जांच रिपोर्ट पर। जो कार्रवाई भी त्यौहार के सात दिन शेष रहने तक नहीं की जा सकी है और अब सैंपलिंग होती भी है तो रिपोर्ट आएगी 20 दिन बाद यानि दीपावली के बाद। दीपावली के मद्देनजर भारी मात्रा में मावा और अन्य सामग्री शहर समेत जिलेभर में पहुंचना शुरू हो गई है। अनेक गोदामों में मिठाइयां तैयार भी होने लगी है, जो आगामी दो-तीन दिन में दुकानों पर रखी भी जाने लगेगी, लेकिन यह मिठाई आपकी सेहत के लिए सही है। इसका प्रमाणपत्र आपको किसी भी दुकान पर नहीं मिलेगा। खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से दुकानों पर पहुंचकर सेंपलिंग तो की जाएगी, लेकिन मीठा जहर बिकने के बाद ही जांच रिपोर्ट सामने आएगी। इधर, जिला मुख्यालय पर तीन खाद्य निरीक्षकों के पद स्वीकृत हैं, इनमें से एक पद पिछले चार साल से खाली है। इससे नियमित सैंपलिंग को लेकर भी विभाग को परेशानी आती है। अगर पदों को भरा जाए तो काफी हद तक मिलावटखोरी पर लगाम कसी जा सकती है।
मिठाई की गुणवत्ता जांचने की यह है प्रक्रिया

मिठाइयों की जांच के लिए सैंपल लेकर अलवर लैब में भेजे जाते हैं। विभाग की ओर से पार्सल के माध्यम से लैब में भेजते हैं। लैब तक सैंपल पहुंचने में करीब दो से तीन दिन लगते हैं। लैब की ओर से सैंपल रिसीव करने के कम से कम 15 से 20 दिन बाद रिपोर्ट भेजी जाती है। रिपोर्ट पहुंचने में भी समय लगता है। कई बार रिपोर्ट आने में 25 से अधिक दिन लग जाते हैं। मिठाई के एक सैंपल के कई प्रकार के टेस्ट लैब में होते है। सैंपल को 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है। सब-स्टैंडर्ड, मिक्स ब्रांडेड और अनसेफ।
मिलावटी जहर से ऐसे बचें

खाद्य सुरक्षा विभाग की सुस्ती के कारण इस बार भी अधिकांश लोग दूषित मिठाइयां ले जाकर खाएंगे। क्योंकि, अब अगर सेंपलिंग की भी जाएगी तो जांच रिपोर्ट 20 दिन बाद आएगी। जब तक मिठाईयां भी पूरी बिक जाएगी और दीपावली का त्यौहार भी निकल जाएगा।
सैंपल फेल पर हो सकती है सजा

सैंपल के सब-स्टैंडर्ड मिलने पर संबंधित दुकान पर जुर्माना, अनसेफ मिलने पर दुकानदार या विक्रेता को सजा का प्रावधान। इतना ही नहीं मिलावटी या खराब मिठाई खाने से यदि किसी समस्या होती है तो विक्रेता को सजा का प्रावधान है। मिलावटी मिठाई की रिपोर्ट के बाद उपभोक्ता या खाद्य अधिकारी सैंपल रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करेगा। मामला कोर्ट में जाने से पहले विभाग की ओर से विक्रेता को दूसरी लैब से उसी सैंपल की जांच करवाने के एक महीने का समय दिया जाता है।
इधर, गड़बड़ी की आशंका पर नष्ट कराईं मिठाई

भरतपुर शहर एवं रूपबास में कार्रवाई की गई। इसमें हीरादास स्थित अग्रवाल मिष्ठान भंडार में रसमलाई के नमूने लिए गए। इसमें 12 किलो इमरती, 12 किलो रसमलाई और चार किलो पेड़ा नष्ट कराए। इसके बाद आनंद नगर स्थित उमा मसाला उद्योग इंडस्ट्रीज में हल्दी पाउडर के दो नमूने लिए गए। चल प्रयोगशाला की ओर से हीरादास स्थित कृष्णा डेरी एवं श्री राम डेरी वासन गेट पर घी के नमूनों की जांच की गई। घी के नमूने जांच में सही पाए गए, लेकिन घी के ऊपर लगा लेवल सही नहीं पाया गया। इसको लेकर उन पर पांच-पांच हजार रुपए की जुर्माना राशि वसूल की गई। कार्रवाई में एसडीएम संजय गोयल, खाद्य सुरक्षा अधिकारी जगदीश गुप्ता, प्रवर्तन अधिकारी पवन अग्रवाल मौजूद रहे। वहीं रूपवास में भी कार्रवाई की गई।

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