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भरतपुर

पांच वर्ष तक बच्चों की मौत में निमोनिया मुख्य वजह, सावधानी भी जरूरी

-सांस कार्यक्रम बच्चों में निमोनिया के बचाव में अहम साबित होगा

भरतपुरFeb 17, 2021 / 01:31 pm

Meghshyam Parashar

पांच वर्ष तक बच्चों की मौत में निमोनिया मुख्य वजह, सावधानी भी जरूरी

पांच वर्ष तक बच्चों की मौत में निमोनिया मुख्य वजह, सावधानी भी जरूरी

भरतपुर. राज्य में 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों में मृत्यु के कारणों में से निमोनिया एक मुख्य वजह है। निमोनिया से शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए प्रदेशभर में निमोनिया नहीं तो, जीवन सही थीम पर आधारित सांस (सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन प्लान टू न्यूट्रलाइस निमोनिया सक्सेसफु ल्ली) कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। सीएमएचओ डॉ. कप्तान सिंह ने बताया कि चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग राजस्थान सरकार के अनुसार प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग एक लाख 82 हजार बच्चे निमोनिया से संक्रमित हो जाते हैं। इनमें से नौ हजार 200 बच्चों की मृत्यु हो जाती है। निमोनिया से बच्चों की सुरक्षा के लिए पहले छह माह में शिशु को केवल स्तनपान करवाने, छह माह बाद पूरक पोषाहार देने तथा विटामिन ए की खुराक देने, निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण करवाने, साबुन से हाथ धुलवाने, स्वच्छता तथा घरेलू स्तर पर प्रदूषण को कम करके किया जा सकता है।
आरसीएचओ डॉ. अमर सिह सैनी ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो कि बच्चों में सर्वाधिक होने वाला संक्रमण है। सांस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक स्तर के अधिकारी एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ ही एएनएम एवं आशा सहयोगिनी स्तर पर आवश्यक प्रशिक्षण एवं दवा दी गई है। समुदाय स्तर पर निमोनिया के लक्षण, बचाव व रोकथाम के लिए चिकित्सक व स्टाफ नर्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि वह समुदाय में जाग्रति पैदा कर निमोनिया के बचाव हेतु आमजन को प्रेरित कर सकेंगे। वही राज्य स्तर के निर्देशानुसार सांस कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसके तहत विभिन्न प्रकार की आईईसी गतिविधियां संपादित कर आमजन को जागरूक किया जा रहा है।
ये हैं निमोनिया के लक्षण

निमोनिया फेंफड़ों में रोगाणुओं के संक्रमण से होता है और पांच वर्ष तक के बच्चों में इसका खतरा अधिक रहता है इसमें खांसी और जुकाम का बढऩा, तेजी से सांस लेना, सांस लेते समय पसली चलना, तेज बुखार आना के साथ झटके आना, खाना-पीना पाना एवं सुस्ती या अत्यधिक नींद आना मुख्य है। ऐसे समय मे बच्चों की विशेष देखभाल की जाए।
निमोनिया से बचाव उपाय

घर में धुंआ न होने दें एवं खिड़किया खुली रखें। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराएं, जन्म के छह माह तक केवल मां का ही दूध पिलाएं, छह माह बाद बच्चे को ऊपरी खाना खिलाएं, पीने के पानी को ढक कर रखें, खाना पकाने एवं खिलाने के पहले तथा शौच के बाद हाथों को साबुन से धोएं, बच्चे के शरीर को ढककर रखें एवं सर्दियों में ऊनी कपड़े पहनाएं और बच्चे का समयानुसार संपूर्ण टीकाकरण कराएं। सीओआईईसी राममोहन जांगिड़ ने बताया कि सांस अभियान के तहत जन जागरुकता गतिविधियां आयोजित कराई जाएंगी, आईईसी सामग्री मुद्रण कराकर सीएचसी-पीएचसी स्तर सहित उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक प्रदर्शित कराकर निमोनिया के लक्षणों एवं बचाव उपायों के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

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