script…मानो आसमां से हो रही हो टिड्डियों की बरसात, इस साल रखनी होगी सावधानी | Care must be taken this year | Patrika News
भरतपुर

…मानो आसमां से हो रही हो टिड्डियों की बरसात, इस साल रखनी होगी सावधानी

-फिलहाल तीन लोकेशन से अलवर जिले में निकला टिड्डी दल, लेकिन वापस आने की भी है संभावना

भरतपुरJul 01, 2020 / 10:57 am

Meghshyam Parashar

...मानो आसमां से हो रही हो टिड्डियों की बरसात, इस साल रखनी होगी सावधानी

…मानो आसमां से हो रही हो टिड्डियों की बरसात, इस साल रखनी होगी सावधानी

भरतपुर. कोरोना के साथ-साथ टिड्डी दल से निपटना भी चुनौती बन गया हैै, क्योंकि टिड्डी दल हरियाली का दुश्मन है। टिड्डी से फसल को नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक टिड्डी दल एक स्क्वेयर किलोमीटर में तीस करोड़ के घनत्व में होता है और एक टिड्डी अपने शरीर के वजन के बराबर भोजन करती है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि टिड्डियों के एक दल में करोडों टिड्डियां होती हैं और जिस इलाके में जाती हैं हरियाली को नष्ट कर देती हैं। ऐसे में खरीफ सीजन की बुआई शुरू होने से पहले गहराते टिड्डियों के खतरे ने कृषि विभाग को हरकत में ला दिया है। चिंता की बात यह भी है कि पिछले दो दिन के अंदर करौली जिले से टिड्डियों के दल ने भरतपुर जिले में दस्तक दी है। तीन लोकेशन से टिड्डियां आने के बाद अलवर जिले की ओर गई हैं। कृषि विभाग का मानना है कि इस साल सतर्कता रखने की आवश्यकता है। क्योंकि टिड्डियों के और भी दल आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत के पश्चिमी तट पर राजस्थान के अलावा गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों भी टिड्डी का प्रकोप है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पौधों का यह प्लेग है, जो कि करोड़ों की तादाद में एक झुंड में आता है और कई हेक्टेयर में लगी फसल को नष्ट कर देता है, इससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। अभी बुआई का दौर चल रहा है। इसलिए आने वाले एक-डेढ़ महीने के बाद परेशानी और बढ़ सकती है। इधर, शहर में बुधवार शाम टिड्डी दल आने के बाद शहर में भी हड़कंप मच गया। लोगों ने मकानों की छत पर खड़े होकर पटाखे चलाए व थाली बजाई।
टिड्डी दल आने पर क्या करें किसान

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि उचित प्रबंधन से किसान टिड्डी दल को खेतों से दूर रख सकते हैं। प्रभावित खेतों के आसपास कृषक ड्रम अथवा बर्तनों इत्यादि से तेज आवाज निकाल कर टिड्डी दल को फसल से दूर रख सकते हैं। टिड्डी दल के समूह पर कलोरपायरीफॉस 20ईसी (ईमल्सीफाईड कन्सनट्रेशन) का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर अथवा मेलाथियॉन (यूएलबी) का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर या लैम्ब्डा सयलोथ्रिन 4.9 प्रतिशत सीएस का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर अथवा रोकर स्प्रेयर से छिड़काव करें। यह छिड़काव शाम अथवा रात के समय करें क्योंकि टिड्डियां रात के समय बैठकर आराम करती हैं।
जानिए क्या है टिड्डी दल

एक टिड्डी का वजन करीब दो ग्राम होता है। भारत में आजकल, जो टिड्डी दल आया है, इसका वैज्ञानिक नाम सिस्टोसिरा ग्रिगेरिया है। भारत में यूं टिड्डे हर जगह मिलते हैं, लेकिन यह नुकसान तभी करते हैं, जब यह सवार्मिंग कंडीशन में होते हैं। सिंगल कंडीशन में यह नुकसान नहीं करते। भारत में टिड्डी दल की 12 प्रजातियां होती है। इनमें तीन मुख्य प्रजातियां हरियाली और फसलों को नुकसान करती हैं। इनमें सिस्टोसिरा ग्रिगेरिया के अलावा शीत मरुस्थल का टिड्डी दल, जो चीन की ओर से आता है, लोकेस्टा माइग्रेटेरिया और तीसरा बोम्बे लोकेस्ट है। यह मुंबई के आसपास ही आता था और 1964 के बाद अब तक रिपोर्ट नहीं किया गया है।
टिड्डी दलों से हुए नुकसान के लिए कराएं विशेष गिरदावरी – डॉ. गर्ग

भरतपुर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने जिले में टिड्डी दल के हमले के कारण फसलों एवं फलदार वृक्षों को हुए नुकसान की विशेष गिरदावरी कराने के निर्देश जिला कलक्टर नथमल डिडेल को दूरभाष पर दिए। डॉ. गर्ग ने कहा कि ओलावृष्टि, अतिवृष्टि के कारण फसलों का नुकसान झेल रहे किसानों को अब टिड्डी दल के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है इसके लिए विशेष गिरदावरी शीघ्र कराकर उन्हें राहत प्रदान की जाए। चिकित्सा राज्य मंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि केन्द्रीय टिड्डी नियंत्रण संगठन से समन्वय स्थापित कर टिड्डी दल के हमलों की आशंका को देखते हुए सतर्क रहकर निगरानी रखें और सूचना मिलते ही सायरन बजाकर, धुआं कर एवं कीटनाशक दवा के छिड़काव द्वारा टिड्डी दलों को भगाने का अभियान स्थानीय लोगों के सहयोग से सफलतापूर्वक संचालित करें।
-तीन लोकेशन से टिड्डी दल आने की सूचना मिली थी। भूतोली, पथैना होते हुए टिड्डी दल खेड़ली की ओर से निकल गया। इसके अलावा वैर एरिया वाला दल करौली वापस चला गया। नदबई, रोनिजा व कठूमर इलाके में भी टिड्डी दल आया था, जो कि अलवर जिले में निकल गया, लेकिन यह दल अभी दुबारा आ सकते हैं।
देशराज सिंह
संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार

Hindi News/ Bharatpur / …मानो आसमां से हो रही हो टिड्डियों की बरसात, इस साल रखनी होगी सावधानी

ट्रेंडिंग वीडियो