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भरतपुर

नगर निगम: कांग्रेस का बोर्ड बने नौ माह गुजरे पर भाजपा नहीं बना सकी नेता प्रतिपक्ष

-तीन पार्षदों का पैनल भी बनाया लेकिन अटका रहा प्रस्ताव

भरतपुरSep 01, 2020 / 10:21 am

Meghshyam Parashar

नगर निगम: कांग्रेस का बोर्ड बने नौ माह गुजरे पर भाजपा नहीं बना सकी नेता प्रतिपक्ष

नगर निगम: कांग्रेस का बोर्ड बने नौ माह गुजरे पर भाजपा नहीं बना सकी नेता प्रतिपक्ष

भरतपुर. नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड बनने के नौ माह गुजरने के बाद भी भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष तक तय नहीं किया जा सका है। यही कारण है कि निगम की साधारण सभा की बैठकों में सत्ता पक्ष को मुद्दों को लेकर घेरने में विपक्ष अब तक कमजोर ही रहा है। अब नगर निगम में मेयर व आयुक्त के बीच विवाद की शुरुआत होते ही नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग भी भाजपा में मुखर हो चुकी है। पिछले दिनों नगर निगम में चल रही खींचतान को लेकर जब ज्ञापन देने की बात सामने आई तो कुछ पार्षदों ने संगठन के सामने नेता प्रतिपक्ष का चयन करने की भी मांग उठाई। ऐसे में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व भरतपुर संभाग प्रभारी मुकेश दाधीच ने जिलाध्यक्ष से नेता प्रतिपक्ष के चयन प्रक्रिया पूरी कराने को कहा। हालांकि अब भी इस प्रक्रिया में देरी हो सकती है। क्योंकि नेता प्रतिपक्ष का चयन पार्षद का चुनाव जीतकर आए उन 22 पार्षदों के लिए अहम रहेगा, जो कि नौ माह से इस पद पर चयन की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार नगर निगम के चुनाव नवंबर 2019 में हुए थे। 26 नवंबर को मेयर व 27 नवंबर को डिप्टी मेयर का चुनाव हुआ था। इस बार नगर निगम में 65 में से भाजपा के 22, निर्दलीय 22, बसपा के तीन व कांग्रेस के 18 पार्षद चुनाव जीतकर आए थे। बताते हैं कि किसी भी नगर निगम में विपक्ष का नेतृत्व करने वाला नेता प्रतिपक्ष अहम पद होता है। अभी तक नगर निगम की 27 दिसंबर 2019 व 10 फरवरी 2020 को बैठक हुई है। इन दोनों ही बैठकों में शहर की समस्याओं को लेकर विपक्ष बहुत कम नजर आया। इसके पीछे नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं होना भी मुख्य कारण माना जाता रहा है।
पार्टी के प्रति निष्ठा को रखा जाए ध्यान…

सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष का चयन करने में भले ही संगठन के नेताओं के करीबियों को फायदा मिल सकता है, परंतु पार्टी का ही एक गुट वरिष्ठ नेताओं के सामने यह बात रख चुका है कि नगर निगम के चुनाव में जिन पार्षदों ने निष्ठा का परिचय दिया था। उसको आवश्यक रूप से ध्यान में रखा जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाए तो कौन नगर निगम की बैठक में सत्ता पक्ष के सामने मुद्दा उठाने में माहिर रहा है। अगर नेता प्रतिपक्ष का चयन करने में सिर्फ करीबी होने वालों को ही फायदा मिलता है तो इससे वह सत्तापक्ष के सामने शहर की हकीकत बयां नहीं कर पाएगा।
जानिए पैनल में शामिल किस पार्षद की क्या भूमिका ?

1. शिवानी दायमा: यह दो बार नगर निगम की पार्षद बनी है। वर्तमान में भाजपा महिला जिलाध्यक्ष भी हैं। वह जिलाध्यक्ष डॉ. शैलेष सिंह गुट के करीब रही हैं। मेयर पद के चुनाव में उन्हें 14 मत वोट मिले थे, जबकि भाजपा के 22 पार्षद चुनाव जीतकर आए थे।
2. श्यामसुंदर गौड़: यह आरएसएस के कार्यकर्ता हैं। दूसरी बार निगम के पार्षद बने हैं। यूआईटी ट्रस्ट में सदस्य रहे हैं। पिछले कार्यकाल में मेयर पर भ्रष्टाचार को लेकर फाइलों के साथ विरोध किया था। मुद्दे उठाने में मुखर रहे हैं। वह पूर्व जिलाध्यक्ष गिरधारी तिवारी के गुट से माने जाते रहे हैं।
3. सुमन प्रेमपाल: यह पहली बार पार्षद नगर निगम में पहुंची है। उनके पति पूर्व में दो बार पार्षद रह चुके हैं। जिलाध्यक्ष गुट के करीब माने जाते हैं।

दुबारा पैनल बनाकर जल्द कराएंगे घोषणा
-तीन पार्षदों के नाम का पैनल पूर्व में बनाकर प्रदेश नेतृत्व के पास भेजा गया था। वहां से अभी तक घोषणा नहीं हो पाई है। दुबारा से पैनल भेजा जाएगा। नगर निगम में कांग्रेस बोर्ड की हकीकत जनता के सामने लाने के लिए शीघ्र ही नेता प्रतिपक्ष का चयन कराया जाएगा।
डॉ. शैलेष सिंह
जिलाध्यक्ष भाजपा

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