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भरतपुर

नगर निगम में छिड़ी बड़ी रार…नहीं निकला कोई सार

भाजपा पार्षद: सही स्थिति में गाड़ी होने के बाद भी खरीदी इनोवा गाड़ी
मेयर बोले: पूर्व के भाजपा बोर्ड और अब खुद इस बोर्ड ने दी स्वीकृति
-नगर निगम के मेयर व आयुक्त के बीच विवाद के बाद मेयर के विरोध में उतरे भाजपा पार्षदभ्रष्टाचार के आरोपों पर मेयर का दावा: कांग्रेस बोर्ड के नौ माह व पिछले भाजपा कार्यकाल की एसीबी या न्यायिक जांच कराएं

भरतपुरAug 30, 2020 / 02:37 pm

Meghshyam Parashar

नगर निगम में छिड़ी बड़ी रार...नहीं निकला कोई सार

नगर निगम में छिड़ी बड़ी रार…नहीं निकला कोई सार

भरतपुर. नगर निगम में मेयर व आयुक्त के बीच चल रहे विवाद के बाद अब भाजपा के पार्षदों ने मेयर को लेकर विरोध व्यक्त किया है। पार्षदों ने जिला कलक्टर नथमल डिडेल को ज्ञापन देकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। इधर, मेयर अभिजीत कुमार ने बयान जारी किया है कि यह सभी आरोप साजिश का हिस्सा हैं। मेरे नौ माह के कार्यकाल व पूर्व के भाजपा के बोर्ड के पांच साल के कार्यकाल की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो या न्यायिक जांच कराने की स्वीकृति देने के लिए तैयार हूं। उल्लेखनीय है कि नगर निगम में पिछले करीब तीन माह से विवाद की स्थिति बनी हुई है। कभी मेयर तो कभी आयुक्त के विरोध में अलग-अलग गुट ज्ञापन दे रहे हैं। विवाद का निस्तारण कराने के लिए भी अधिकारी व मंत्री स्तर पर कोशिश की गई है, लेकिन समाधान अभी तक नहीं निकल सका है। बड़ों की इस लड़ाई में शहर में विकास की हालत खराब हो रही है।
भाजपा पार्षद शिवानी दायमा, रामवीर सिंह, कपिल फौजदार, सुधा शर्मा, प्रताप मानु, दिलकेश कुमारी, नरेश कुमार, नरेंद्र सिंह, विमलेश, पंकज गोयल, मनीषा चौहान, कलुआराम मीना, श्यामसुंदर गौड़, सुमन प्रेमपाल, विष्णु मित्तल, पुष्पा गुर्जर, भगवान सिंह, चौ. सुरजीत सिंह, भरत सिंह धाऊ के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन जिला कलक्टर को दिया गया है। इसमें कहा है कि नगर निगम के मेयर की ओर से विकास कार्यों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर किया जा रहा है। जनता की अपेक्षाओं के अनुसार आवश्यक विकास कार्य नहीं किए जाकर घोर अनियिमतताएं की जा रही हैं। नगर निगम में एक जाति विशेष के पार्षदों को तवज्जो देकर जातिगत आधार पर अनावश्यक रूप से माहौल खराब कर रहे हैं। इनके साथ कार्यालय समय में एक निजी व्यक्ति हर समय साथ रहता है। वह निगम के अधिकारी-कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव बनाकर राजकीय कार्यों में हस्तक्षेप करता है। जब से मेयर पद पर निर्वाचित हुए हैं, तब से अब तक भरतपुर में प्रवास नहीं किया है। अधिकतर समय जयपुर ही रहते हैं। निगम की पूर्व में टाटा सफारी वाहन होने के बाद भी निगम के पैसे का अपव्यय कर स्वयं के लिए एक नई इनोवा वाहन खरीदा है। जो कि इनके कार्यों के लिए भरतपुर से जयपुर व अन्यत्र स्थानों पर घूमती रहती है। इंदिरा रसोई के उद्घाटन में मेयर नदारद रहे। कोरोनाकाल के समय एक भी दिन मेयर आमजन के बीच नहीं गए और न जनता की किसी भी प्रकार की सहायता नहीं की। छह माह से बोर्ड बैठक नहीं बुलाई जा रही है। मेयर को जो ज्ञापन व पत्र दिए गए हैं, उन्हें कचरे के डिब्बे में डाल दिया जाता है।
मेयर बोले: भाजपा पार्षद मुझे बताएं प्रकरण, एसीबी से कराएंगे जांच

इधर, नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार ने भी पलटवार करते हुए कहा कि मैंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया। भाजपा पार्षद मुझे बताएं ऐसे प्रकरण, वैसे जो प्रकरण संज्ञान में आए हैं उन पर मेरे स्तर पर कार्रवाई की गई है। मेरे संज्ञान में ऐसा प्रकरण लाएंगे तो निश्चित ही उसकी जांच कराई जाएगी। जिन पार्षद साथियों ने कभी भी कोई शिकायत की है उसको जांच के लिए आगे भेजा है। आवश्यकता होगी तो आगे एसीबी से जांच कराने के लिए भ्रष्टाचार के प्रकरण भेजे जाएंगे। मुझ पर झूठे आरोप लगाकर भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों को बचाने का भाजपा का किया गया कृत्य है जो अपने समर्थित निगम के अधिकारी-कर्मचारियों को बचाने के लिए जनता का ध्यान बांटने के लिए झूठे एवं बेबुनियाद आरोप मुझ पर लगाए गए हैं जो स्वीकार नहीं है। मेयर के लिए वाहन खरीदने का निर्णय पिछले भाजपा के बोर्ड की बजट बैठक 14 फरवरी 2019 को प्रस्ताव संख्या 153 पर खर्चा के मद संख्या 12 कार जीप सफारी आदि वाहन खरीदने के लिए 20 लाख का बजट स्वीकृत कराया गया था। उक्त स्वीकृत बजट की स्वीकृति के उपरांत राज्य सरकार ने वाहन खरीदने की नगर निगम को स्वीकृति प्रदान की गई थी। जो भाजपा पार्षद आरोप लगा रहे हैं उनकी ओर से ही बजट बैठक 10 फरवरी 2020 को प्रस्ताव संख्या 34 पर निगम के खर्चा के मद में नए वाहन खरीदने का बजट 25 लाख रुपए स्वीकृत किया था। निजी सचिव को वेतन स्वयं देता हूं। यह मेरा अधिकार है। भ्रष्टाचार के मुद्दों पर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुलाने को तैयार हूं। मेयर हाउस नहीं होने के कारण 20 किमी दूर गांव से लगातार नगर निगम में भी आता रहता हूं। सभी पार्षदों को समानभाव से देखा है।
हर नए बोर्ड में खरीदी जाती है मेयर की नई गाड़ी

पिछले जितने भी बोर्ड बने हैं, हरेक में मेयर के लिए नई गाड़ी खरीदी जाती रही हैं। बताते हैं कि नियम के अनुसार दो लाख किलोमीटर गाड़ी चलने के बाद उसे खटारा घोषित कर दिया जाता है। ऐसे में पूर्व शिवसिंह भोंट के समय में मेयर की गाड़ी करीब एक लाख 80 हजार किलोमीटर चली थी। इसलिए इस बार भी गाड़ी की खरीद कर ली गई।

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