बड़ा सवाल…आखिर किसने किया फर्जीवाड़ा कैबीनेट मंत्री की फर्जी डिजायर बनाकर तबादला कराने का मामला सामने आने के बाद यह प्रकरण सोशल मीडिया पर भी छाया हुआ है। बताते हैं कि अब कैबीनेट मंत्री के सामने भी यह सवाल खड़ा हो रहा कि आखिर इतनी बड़ा फर्जीवाड़ा किसने किया है। चूंकि पिछले कुछ समय से वह अब खुद ही एक-एक काम काम देख रहे हैं। ऐसे में इसके बाद भी किसी फर्जी व्यक्ति का इस तरह फर्जीवाड़ा करना बड़ी बात है। हालांकि जब इस बारे में कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह से बात करना चाहा तो उन्होंने इंकार कर दिया।
30 लाख रुपए के विकास कार्यों को लेकर उठ रही बात… विवाद फर्जी डिजायर पर ही खत्म नहीं होता, एक विभाग की ओर से कैबीनेट मंत्री के पत्र के माध्यम से एक ग्राम पंचायत में करीब 30 लाख रुपए के कार्य स्वीकृत कराने का मामला भी सोशल मीडिया पर उठ रहा है। इसको लेकर एक पत्र भी वायरल हुआ है। हालांकि अभी तक इस पत्र को लेकर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहा है। हालांकि कैबीनेट मंत्री की ही विधानसभा क्षेत्र के एक जनप्रतिनिधि पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। परंतु अभी तक इस मामले में खुद कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कोई बयान जारी नहीं किया है। जब संबंधित विभाग के अधिकारी से बात की तो उन्होंने पहले तो कहा कि मामला पुराना हो सकता है। अभी हाल का नया ऐसा कोई मामला नहीं है। जब उनसे मामले के बारे में पूछा तो बोले कि कार्यालय में देखकर ही आपको 13 मई की सुबह बता सकता हूं। इसके बारे में अभी कोई नॉलेज नहीं है।
पहले भी हो चुका है इस तरह का फर्जीवाड़ा बताते हैं कि पूर्व सांसद बहादुरसिंह कोली के कार्यकाल में भी वैर इलाके में इस तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया था। हालांकि बाद में दोनों पक्षों में राजीनामा हो गया था। उस समय मामला यह था कि किसी व्यक्ति ने सांसद के लेटरपैड पर ग्राम पंचायतों में काम कराने की सिफारिश कर डाली। जब मामला सांसद के पास पहुंचा तो वह फर्जी निकला। ऐसे में सांसद को उस समय संबंधित मंत्री तक को पत्र लिखना पड़ा, परंतु मामला एक ही पार्टी के कार्यकर्ता का होने के कारण राजीनामा हो गया था।