दोबारा बुवाई शुरू, बीज की मार जिले में बारिश से पहले सरसों की खूब बुवाई हुई। इसमें से करीब 90 हजार हैक्टेयर में फसल खराब हो गई, जिसकी बुवाई किसान अब दोबारा कर रहे हैं। हालांकि एक बार बुवाई के लिए बीज ले चुके किसानों को अच्छी किस्म के बीज का टोटा पड़ता नजर आ रहा है। इसकी खास वजह यह है कि नामी बीज कंपनियों ने रकबा के हिसाब से ही बीज सप्लाई किया था, लेकिन अब दोबारा बुवाई के लिए किसानों को अच्छे किस्म के बीज के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
गेहूं की बुवाई पर नहीं होगा असर इस बार देरी के मानसून ने भले ही खरीफ में खराबा किया हो, लेकिन यह आने वाली गेहूं की फसल को राहत दे सकता है। वजह, खेतों में नमी बरकरार रही तो यह गेहूं की बुवाई के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि अभी गेहूं की बुवाई में समय बताया जा रहा है। इसका अनुमानित समय 15 नवंबर के आसपास बताया जा रहा है। हालांकि इस बार गेहूं के रकबे में बढ़त-घटत नहीं हुई है। जिले में पिछले वर्ष गेहूं का रकबा 1 लाख 25 हजार हैक्टेयर था, जो इस बार भी करीब इतना ही है।
30 अक्टूबर तक उपयुक्त समय कृषि विभाग के मुताबिक बारिश से खराब हुई सरसों की फसल की दोबारा बुवाई का समय 30 अक्टूबर तक उपयुक्त है। यदि बुवाई 30 अक्टूबर तक हो जाती है तो यह बुवाई के लिहाज से बेहतर है, लेकिन इसके बाद बुवाई होती है तो यह सरसों की बुवाई के लिए देरी मानी जाएगी। देरी से बुवाई का असर उत्पादन पर आ सकता है।
आंकड़ों में बुवाई 2 लाख 60 हजार हैक्टेयर में बोई जानी है सरसों 2 लाख 15 हजार हैक्टेयर में हुई थी पिछली बार बुवाई 90 हजार हैक्टेयर में दोबारा बोई जा रही सरसों
50 हजार हैक्टेयर के करीब इस बार अधिक बुवाई 1 लाख 25 हजार हजार हैक्टेयर में बोया जाएगा गेहूं 30 अक्टूबर तक है सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय 15 नवम्बर है गेहूं की बुवाई समय
इनका कहना है जिले में यदि सरसों की दोबारा बुवाई 30 अक्टूबर तक हो जाती है तो यह समय बुवाई के लिए खासा उपयुक्त रहेगा। इसके बाद बुवाई में देरी मानी जाएगी। यदि तय समय में बुवाई हो जाती है तो सरसों का रकबा बरकरार रहेगा। गेहूं के रकबे पर इस बारिश का कोई खास असर नहीं होगा।
– डॉ. धर्मपाल सिंह, उपनिदेशक कृषि भरतपुर