मेले में दूरदराज से आए दुकानदारों दुकानें सजी रहीं, मनोरंजन के लिए सर्कस झूले भी मौजूद थे। खाने-पीने की चीजें और खिलौनों की दुकानें लोगों को आकर्षित करती रहीं। परंपरा के मुताबिक नवमी तिथि को मेले में आने वाले श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर मंदिरों में पूजन किया। दोपहर बाद बारिश में कमी आने पर मेला गुलजार हो गया। मेले की सुरक्षा के लिये मेला क्षेत्र को तीन सेक्टरों में बांटा गया था। हालांकि कहा जाता है कि मेला अष्टमी से शुरू होता है, लेकिन लवकुश जन्मोत्सव नवमी को होने से मुख्य मेला नवमी को ही होता है।
मेला प्रभारी इंस्पेक्टर धर्मेंद्र यादव ने बताया कि मेले के लिये कड़े इंतजाम किये गए। एक दिन पहले ही बैठक कर इसका पूरा प्लान बना लिया गया था। मेला क्षेत्र को तीन सेक्टर में बांटकर तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई। सेक्टर प्रभारियों का मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गयी थी। सादी वर्दी में महिला व पुरूष पुलिस भी लगाये गए थे। गंगा पार मिर्जापुर से बारीपुर व सीतामढ़ी घाट पर नाव के जरिए मेले का लुत्फ उठाने आने वालों की सुरक्षा के लिये जल पुलिस का भी इंतजाम किया गया था। महर्षि वाल्मीकि घाट पर गोताखोर जल पुलिस सहित दो मोटरवोट लगाए गए थे।
By Mahesh Jaiswal