भदोही की कारपेट इंडस्ट्री पूरे विश्व में खूबसूरत कालीनों के लिए पहचानी जाती है, लेकिन इन खबसूरत कालीनों के निर्माण में कुछ लालची लोग महज कुछ रुपयों के लिए बच्चों का बचपन छीनने से परहेज नहीं कर रहेl कालीन उद्योग की तरफ से तमाम दावे किये जाते रहे है की इंडस्ट्री में अब बाल श्रमिकों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है, बावजूद इसके बाल श्रमिकों का कालीन कारखानों से मुक्त कराया जाना इंडस्ट्री के दावों को खोखला साबित कर रहा है।
बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से प्रशासन की टीम ने भदोही कोतवाली क्षेत्र के नई बाजार से एक कालीन कारखाने से 14 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया हैl कालीन कारखाने से मुक्त हुए सभी बच्चों की उम्र 13 साल से कम बताई जा रही है l मुक्त कराये गए बाल श्रमिकों के मुताबिक उनसे 11 घंटे तक रोजाना काम कराया जाता था और मजदूरी के रूप में सिर्फ 3500 रुपया महीना ही दिया जाता था।
बचपन बचाओ एनजीओ की टीम को सूचना मिली थी की नई बाजार में आजम खान नाम के व्यक्ति के कालीन कारखाने पर कई बाल श्रमिकों से कालीन की बुनाई का काम लिया जा रहा है जिसके बाद प्रशासन के सहयोग से कालीन कारखाने में छापा मारकर 14 बच्चों को मुक्त कराया गया है। सभी बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत कर मेडिकल समेत अन्य विधिक कार्रवाई की जा रही है।
By Mahesh jaiswal