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भदोही

कैलाश सत्यार्थी की संस्था ने कालीन कारखाने से मुक्त कराए 14 बंधुआ बाल मजदूर

बचपन बचाओ संस्था ने पुलिस के साथ मिलकर करायी कार्यवाही।

भदोहीDec 31, 2019 / 11:04 am

रफतउद्दीन फरीद

Child Labour

चाइल्ड लेबर

भदोही. नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) विजेता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) की संस्था ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ (Bachpan Bachao Andolan) ने कालीन नगरी भदोही (Bhadohi) के एक कालीन कारखाने से 14 बंधुआ बाल मजदूरों (Child Labour) को प्रशासन के साथ मिलकर मुक्त कराया है। आजाद कराए गए बच्चे बिहार के अररिया से यहां लाये गए थे। एक बार फिर बाल कालीन मजदूरों के मिलने से कालीन उद्योग में हड़कम्प है। यहां पहले भी कई बार बंधुआ बाल मजदूर मिलते रहे हैं। खुद कैलाश सत्यार्थी ने अपने आंदोलन की शुरुआत इस क्षेत्र से की थी और एक बार फिर उनकी संस्था द्वारा मुक्त कराए गए बच्चों के बाद माना जा रहा है कि सत्यार्थी फिर वैश्विक स्तर पर इस मुद्दे को हवा दे सकते हैं।
भदोही की कारपेट इंडस्ट्री पूरे विश्व में खूबसूरत कालीनों के लिए पहचानी जाती है, लेकिन इन खबसूरत कालीनों के निर्माण में कुछ लालची लोग महज कुछ रुपयों के लिए बच्चों का बचपन छीनने से परहेज नहीं कर रहेl कालीन उद्योग की तरफ से तमाम दावे किये जाते रहे है की इंडस्ट्री में अब बाल श्रमिकों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है, बावजूद इसके बाल श्रमिकों का कालीन कारखानों से मुक्त कराया जाना इंडस्ट्री के दावों को खोखला साबित कर रहा है।
बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से प्रशासन की टीम ने भदोही कोतवाली क्षेत्र के नई बाजार से एक कालीन कारखाने से 14 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया हैl कालीन कारखाने से मुक्त हुए सभी बच्चों की उम्र 13 साल से कम बताई जा रही है l मुक्त कराये गए बाल श्रमिकों के मुताबिक उनसे 11 घंटे तक रोजाना काम कराया जाता था और मजदूरी के रूप में सिर्फ 3500 रुपया महीना ही दिया जाता था।
बचपन बचाओ एनजीओ की टीम को सूचना मिली थी की नई बाजार में आजम खान नाम के व्यक्ति के कालीन कारखाने पर कई बाल श्रमिकों से कालीन की बुनाई का काम लिया जा रहा है जिसके बाद प्रशासन के सहयोग से कालीन कारखाने में छापा मारकर 14 बच्चों को मुक्त कराया गया है। सभी बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत कर मेडिकल समेत अन्य विधिक कार्रवाई की जा रही है।
By Mahesh jaiswal

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