चेकिंग के दौरान पकड़े गए तस्कर गोपीगंज थानाक्षेत्र में हुई कार्रवाई का वर्क आउट करते हुए भदोही एसपी डॉ मीनाक्षी कात्यायन ने बताया कि जनपद के रस्ते सवैध शराब की होने वाली तस्करी को लेकर जनपद की पुलिस और आबकारी की टीम अलर्ट मोड पर रहती है। ऐसे में 22/23 दिसंबर की रात स्वाट टीम, थाना गोपीगंज व आबकारी विभाग की संयुक्त टीम नेशनल हाइवे पर मिर्जापुर तिराहे के पास संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों की चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान एक कार संख्या DL 4C AZ 5780 आते हुए दिखाई दी जिसे रुकने का इशारा किया गया तो वह वापस होकर भागने लगी जिसे पुलिस और स्वाट टीम ने अमवा माफी फ्लाईओवर के पश्चिमी छोर पर पकड़ लिया। यहां खड़े कंटेनर को भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया।
कंटेनर और चार पहिया वाहन से मिली 70 लाख की शराब एसपी ने बताया कि चार पहिया वहां और कंटेनर में बैठे लोगों से पूछताछ की गई तो वह कुछ सही जानकारी नहीं दे पाए। इसपर चार पहिया वाहन और कंटेनर की तलाशी ली गई तो उसमें से कुल-804 पेटी (7236 लीटर) अवैध अंग्रेजी शराब इम्पेरियल ब्लू (FOR SALE IN PUNJAB ONLY) अनुमानित कीमत 70 लाख रुपए बरामद हुई। पकड़े गए तस्करों ने अपना नाम क्रमशः सुनील निवासी मकान नंबर 176 अलीपुर थाना भोडसी जिला गुड़गांव राज्य हरियाणा (गिरोह सरगना), ओमप्रकाश निवासी ग्राम खिरवी थाना होडल जिला पलवल राज्य हरियाणा, विनीत कुमार निवासी अहरवा पलवल थाना पलवल जिला पलवल राज्य हरियाणा और दयाराम बघेल गोधराना थाना पलवल जिला पलवल राज्य हरियाणा बताया।
तस्करी का तरीका जान पुलिस हैरान पकड़े गए गिरोह के सरगना सुनील ने पुलिस को बताया कि वो लोग लग्जरी कार से शराब लदी ट्रक या कंटेनर के आगे-आगे चलते हैं। वो रास्ते के बारे में कंटेनर के ड्राइवर को जानकारी देते हैं। चेकिंग होती है तो उससे आगाह करते हैं और ट्रक को रुकवा देते हैं। इस तरह ट्रक धीरे-धीरे करके बिहार पहुंच जाता है जहां इसका ऊंचा दाम मिलता है। पुलिस ने पकड़े गए तस्करों के पास से दो अदद अवैध देशी तमंचा व 04 अदद जिंदा कारतूस भी बरामद किया गया है।
अय्याशी के लिए करते थे तस्करी पुलिस के अनुसार पूछताछ में इन्होने बताया कि इन लोगों के गिरोह का सरगना सुनील निवासी अलीपुर थाना भोडसी जिला गुड़गांव हरियाणा है। उसी के साथ मिलकर हम लोग अपने आर्थिक लाभ और अय्याशी व ज्यादा पैसा कमाने के लिए पंजाब से अंग्रेजी शराब को वाहनों में लोडकर बिहार राज्य में महंगे दामों पर बेचने का काम करते है। शराब बिक्री के पश्चात जो पैसा कमाते है उसे आपस में बांट लेते है। पुलिस को चकमा देने के लिए हम लोगों द्वारा शराब तस्करी में प्रयुक्त वाहनों पर फर्जी नंबर प्लेट का प्रयोग करते हैं।