वीरेंद्र सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1956 में बलिया में हुआ और उनका नाम ‘मस्त’ एक बड़े सन्त से रखा था। इसे लेकर खुद वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि जब उनका जन्म हुआ तो उनके पिता जी सन्त मुनिश्वरानंद खपड़िया बाबा के पास गए और उन्हें यह जानकारी दी। खपड़िया बाबा उनके पिताजी के गुरु थे ऐसे में जब उनसे नामकरण की इच्छा जताई गई तो उन्होंने कहा कि इनका नाम ‘मस्त’ रहेगा। तभी से लोग उन्हें मस्त के नाम से पुकारने लगे। स्कूल-कालेज में उनका नाम वीरेंद्र सिंह रहा लेकिन लोग उनके नाम के साथ मस्त जोड़ना नहीं भूलते हैं।
यह भी पढ़ें- आओ जलाएं- एक दिया पुलिस के नाम थीम परा रोशन हुआ ज्ञान सरोवर लोग मानते हैं कि वीरेंद्र सिंह का नाम ही मस्त नही बल्कि उनका अंदाज भी निराला है। सदन हो या चुनाव क्षेत्र, हर जगह वो बड़ी से बड़ी बात बड़े ही आसानी से कह देते हैं। सदन में कई बार बेबाकी से उनके द्वारा दिये जवाब से विपक्षियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वह विरोध ज्यादा समय तक नही टिक सका।
यह भी पढ़ें- निकाय चुनाव फतह को भाजपा की नई रणनीति, ऐसे मनाएगी दीपावली वीरेंद्र सिंह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, स्वदेशी जागरण मंच में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं। साथ ही पूर्व में मिर्जापुर व वर्तमान में भदोही क्षेत्र से तीसरी बार सांसद चुने गए और खुद एक किसान होने के नाते भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष के तौर पर किसानों से जुड़े मसलों को सरकार के सामने रख किसानों को लाभ दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने आज उनका जन्मदिन ज्ञानपुर स्थित पार्टी कार्यालय व सरकारी अस्पताल में मरीजो को फल वितरित कर मनाया गया।
By Mahesh Jaiswal