Farmers are feeding cattle when tomatoes are not sold
बैतूल। थोक सब्जी मंडी बडोरा में चिल्लर विक्रेताओं के आने पर रोक लगाए जाने से पहले दिन रविवार को सब्जी मंडी में सब्जियों का उठाव नहीं हो सका। जो किसान गांव से मंडी में सब्जी बेचने के लिए लाए थे, उठाव नहीं होने से उनका माल भी नहीं बिक सका। ऐसे स्थिति में किसानों को मवेशियों को सब्जी खिलाना पड़ रही है। मंडी माल आने में किसानों को भाड़े का नुकसान अलग से उठाना पड़ रहा है। इस स्थिति को लेकर किसानों में खासा आक्रोश भी देखा जा रहा है। वहीं खेतों में उनकी फसल बर्बाद हो रही है। थोक सब्जी विक्रेता संघ ने सब्जी मंडी का समय ९.३० से बढ़ाकर १२ बजे तक किए जाने की मांग की है। साथ ही चिल्लर विक्रेताओं को मंडी आने के लिए अनुमति दिए जाने की बात कही है। इधर किसान मंडी में बिक्री नहीं होने पर टमाटर मवेशियों को खिला रहे हैं वहीं जिला प्रशासन द्वारा उद्यानिकी विभाग के किसान समृृद्धि बाजार के माध्यम से ३० रुपए किलो में टमाटर आम लोगों को बेचा जा रहा है।
किसान वापस ले जा रहे सब्जी-भाजी
बडोरा स्थित थोक सब्जी मंडी में माल नहीं बिकने पर किसानों को वापस लौटना पड़ रहा है। मांडवी से आए रमेश झपाटे ने बताया कि वे २५० कैरेट टमाटर लेकर आज मंडी में आए थे। २० रुपए कैरेट के हिसाब से उन्हें गाड़ी वाले को भाड़ा भी दिया है लेकिन मंडी में एक कैरेट टमाटर भी नहीं बिका। वापस उन्हें भाड़ा लगाकर टमाटर कैरेट गांव ले जाने पड़े। चूंकि टमाटर खराब होने की स्थिति में पहुंच रहे हैं इसलिए उन्हें मवेशियों को खिला दिए। उन्होंने बताया कि ५ एकड़ में टमाटर की फसल लगाई है। अभी घर पर १००० कैरेट टमाटर पड़ा हुआ है लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। हम तो कम रेट पर भी कैरेट बेच। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी विभाग से भी उन्होंने संपर्क किया था। वहां से नोडल अधिकारियों के नंबर दिए गए थे लेकिन उनका कहना है कि मंडी में ले जाकर अपना माल बेचो। मंडी में चिल्लर विक्रेताओं के नहीं आने से थोक विक्रेता भी माल खरीदने से मना कर रहे हैं। मांडवी के ही सरवन झपाटे ने बताया कि उन्होंने डेढ़ एकड़ में पत्ता गोभी की फसल लगाई है लेकिन थोक मंडी में माल का उठाव नहीं होने से अब फसल को लेकर उनकी चिंता भी बढ़ गई है। इसी प्रकार शरद नरवरे ने बताया कि खेत में पंद्रह दिन से टमाटर तुड़ाई का काम नहीं हो सका है। भट्टे भी आधा एकड़ में लगे हैं। उद्यानिकी विभाग को जानकारी दी लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है। किसान की फसल बर्बाद हो रही है। उन्होंने बताया कि डेढ़ लाख रुपए बैंक से खेती के लिए कर्जा भी लिया है।
पहले दिन थोक मंडी में नहीं हो सका उठाव
कलेक्टर के निर्देश पर रविवार को बडोरा थोक सब्जी मंडी की शुरूआत की गई। मंडी के संचालन के लिए सुबह ६.३० बजे से ९.३० बजे तक का समय दिया गया है लेकिन इतने कम समय में मंडी का संचालन नहीं हो पा रहा है। थोक सब्जी विक्रेता संघ के अध्यक्ष राजकुमार राठौर ने मंडी सचिव को एक पत्र लिखकर मंडी का समय दोपहर १२ बजे तक किए जाने की मांग की है। उनका कहना था कि पूरे जिले से किसान मंडी में सब्जी बेचने के लिए आते हैं, लेकिन समय अभाव के कारण सभी किसान मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं। साथ ही चिल्लर विक्रेताओं को मंडी आने पर रोक लगा दी गई है। जिससे थोक विक्रेता किसानों से खरीदी कर भी लेेगा तो वह किसे अपना माल बेचेगा। इसलिए थोक विक्रेता भी किसानों से माल खरीदने में आगे-पीेछे हो रहे हैं।
किसान समृद्धि बाजार में महंगी बिक रही सब्जी
लॉक डाउन के चलते जिला प्रशासन ने उद्यानिकी विभाग के किसान समृद्धि बाजार के माध्यम से जिले भर में डोर-टू-डोर सब्जी विक्रय का काम शुरू कर दिया है। यह किसान समृद्धि बाजार सीधे किसानों से सब्जी लेकर आम जनता को बेच रहा है लेकिन सब्जी की दरें काफी महंगी है। टमाटर के रेट ३० रुपए किलो हैं तो धनिया १०० रुपए से ऊपर पहुंच गया है। इसी प्रकार अन्य सब्जियों के दाम भी काफी महंगे हैं। जिससे आम लोगों को महंगी सब्जियां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जबकि किसान जो सब्जी बेचने के लिए मंडी आ रहा है उसका माल ही नहीं खरीदा जा रहा है जिसके कारण उसे सब्जियां मवेशियों को खिलाना पड़ रही है। ऐसे स्थिति में जिला प्रशासन की व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। आम लोग तो लॉक डाउन की वजह से परेशान है ऊपर से उन्हें महंगी दरों में सामान भी खरीदना पड़ रहा है।