सतपुड़ा डैम के 7 गेटों से मंगलवार सुबह 11 बजे तक छोड़ा पानी
नांदिया घाट और शिवनापाट रपटे अब भी बंद , नाव से राजडोह नदी पार कर रहे हैं ग्रामीणजन
सतपुड़ा डैम के 7 गेटों से मंगलवार सुबह 11 बजे तक छोड़ा पानी
सारनी. सोमवार शाम से थमी बारिश से लोगों को राहत मिली है। नदी, नाले से बाढ़ उतरने के बाद आवागमन शुरू हो गया है। हालांकि सतपुड़ा डैम से सतत पानी छोडऩे से नदी पर बने रपटों पर बाढ़ का दौर जारी है। इस वजह से पुनर्वास कैंप चोपना क्षेत्र के 32 गांवों का सीधा संपर्क नांदिया घाट और शिवनपाट रपटे से अभी भी टूटा है। दरअसल सतपुड़ा डैम के 7 गेटों से मंगलवार सुबह 11 बजे तक पानी छोड़ा गया। इसके बाद गेटों की संख्या तीन और ऊंचाई एक-एक फीट कर दी गई। बावजूद इसके छोड़े जा रहे पानी से नांदिया घाट और शिवनपाट रपटे पर बाढ़ जैसे हालात है। इसके चलते आवागमन पूरी तरह बाधित है। पुनर्वास कैंप के स्कूलों तक शहरी क्षेत्र के शिक्षक, चिकित्सक समेत अन्य लोग नहीं पहुंच रहे। इन मार्गों पर चलने वाली बसें भी बंद रही।
गौरतलब है कि यह मार्ग शनिवार से बंद है। फिलहाल डैम का लेवल 1431 फीट मेंटेन किया जा रहा है और जलाशय से करीब तीन हजार क्यूसेक पानी तवा नदी में छोड़ा जा रहा है। खासबात यह है कि सारनी क्षेत्र में अब तक 48 इंच से अधिक बारिश दर्ज की गई है जो कि बीते वर्ष की कुल बारिश से 12 इंच से ज्यादा है।
चार दिन बाद मंगलवार को लोनिया पंचायत में आवागमन शुरू हो पाया है। इसके चलते राजडोह नदी पार करने वाले ग्रामीणों की संख्या अच्छी खासी रही। हालांकि बड़ी नाव बाढ़ के थपेड़ों से क्षतिग्रस्त होने के चलते नदी में एक मात्र छोटी नाव का सहारा ग्रामीणों को है। यही नाव सभी ग्रामीणों को लाना ले जाना कर रही है। नाव छोटी और क्षतिग्रस्त होने के चलते ठेकेदार सालकराम द्वारा स्पष्ट रूप से मोटर साइकिल परिवहन कराने से ग्रामीणों को इंकार कर दिया है। जिसको लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होना आम बात हो गई है। गौरतलब है कि लोनिया पंचायत की आबादी करीब 4 हजार है। यहां के ग्रामीण आवागमन के लिए पूरी तरह नाव के भरोसे हैं। नदी पर पुल निर्माणाधीन है। वर्ष 2020 की बरसात तक पुल निर्माण कार्य पूर्ण होने की संभावना ठेकेदार द्वारा जताई जा रही है।
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