बेतुल

रावण दहन देखने से ज्यादा यहां जली लकड़ी लेने उमड़ती है भीड़, जमकर हो जाती है छीना-झपटी, अजीब है कारण

MP News : रावण दहन के बाद बैतूल के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में जली लकड़ी लेने उमड़ती है भीड़। कई बार लोगों के बीच लकड़ी को लेकर छीना-झपटी तक हो जाती है। यहां रावण दहन देखने से ज्यादा जली लकड़ी बटोरने की इच्छा से आते हैं लोग।

बेतुलOct 13, 2024 / 10:48 am

Faiz

MP News : विजयदशमी के अवसर पर देशभर में बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानते हुए रावण दहन किया जाता है। लोग अपने अपने निर्धारित समयानुसार नजदीकी मैदानों में रावण का पुतला दहन देखने जाते हैं। देशभर की तरह मध्य प्रदेश के बैतूल शहर के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में भी रावण और कुंभकरण के पुतले का दहन किया जाता है। हर बार की तरह इस बार भी मैदान में रावण और कुंभकरण के पुतले का दहन किया गया। लेकिन, यहां की खास बात ये है कि यहां आने वाले लोगों में रावण दहन देखने से ज्यादा पुतला जलने के बाद उसमें से बची जली लकड़ी बटोरने आते हैं।
हर बार की तरह शनिवार रात को भी मैदान में हुए पुतला दहन के बाद एकाएक मैदान के चारों ओर खड़ी भीड़ पुतले के सुलगते अवशेषों की तरफ दौड़ पड़ी। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में लोग जलने वाली लकड़ी का कोयला बटोरने में जुट गए। कुछ ही देऱ में हालात ये तक बन गए कि लड़की बटोरने में लोगों के बीच छीना-झपटी भी हुई। लोग आग बुझा – बुझाकर लकड़ी के टुकड़े बटोरकर ले जा रहे थे। कुछ ही देर में मौके पर महज कचरा बाकी रह गया था। यानी रावण देहन देखने आई भीड़ अपने साथ दहन में जली पूरी लकड़ी बटोरकर ले गए।

लकड़ी बीनने की मची होड़

इसके पीछे मान्यता है कि रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी घर में रखने से प्रेत आत्माओं का प्रवेश घर में नहीं होता है। वहीं बच्चों को नजर नहीं लगती। लोगों का ये भी विश्वास है कि ये लकड़ी अपने पर्स या घरों में रखने से काले जादू का असर तक संबंधित व्यक्ति या उसके परिवार पर नहीं होता। कई लोग केवल रावण दहन देखने इसी वजह से आते हैं, क्योंकि उन्हें रावण दहन के बाद जली हुई लकड़ी ले जाना होता है। साल भर अपने घर की सुरक्षा करने रावण दहन में जली हुई लकड़ी को घरों में संभालकर रखा जाता है।

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