बिना किताब के तीन महीन होने को बताना होगा कि कक्षा पहली से लेकर दसवीं तक के बच्चों को शासन की ओर से नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन शिक्षा सत्र शुरू हुए पौने तीन माह बीतने को है, लेकिन जिले के स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को पाठ्य पुस्तक का वितरण नहीं हो पाया है। हिन्दी माध्यम के सरकारी स्कूलों के साथ ही अंग्रेजी माध्यम में संचालित किए जा रहे निजी स्कूलों के बच्चों को पाठ्य पुस्तक नहीं मिल पाई है।
आंकड़े नहीं जुटा पाया शिक्षा विभाग जिले में बीते साल सितंबर माह तक मिले आंकड़े के अनुसार, कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक 2 लाख 4 सौ 62 बच्चों अध्ययनरत थे, इनमें से कक्षा पहली से दसवीं तक 1 लाख 82 हजार 9 सौ 77 बच्चे अध्ययनरत थे। इसमें बालकों की संख्या 90 हजार 8 सौ 53 और बालिकाओं की संख्या 92 हजार 1 सौ 24 थी। इस साल जिला शिक्षा कार्यालय अब तक छात्रों की संख्या का आंकलन नहीं कर पाया है, लिहाजा आंकड़ा नहीं भेजे जाने की वजह से छात्रों को अब तक पुस्तक नहीं मिल पाई है
56 सौ पुस्तकों की जरूरत जानकारी के अनुसार, जिले में लगभग 56 सौ सेट पुस्तकों का वितरण किया जाना बाकी है, जिनमें अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूल में कक्षा पहली से लेकर दसवीं तक अध्ययनरत बच्चों को 1 हजार 5 सौ 94 पुस्तकों का सेट और सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर कक्षा दसवीं तक अध्ययनरत बच्चों को लगभग 4 हजार पुस्तकों का सेट का वितरण किया जाना शेष है। शिक्षा के क्षेत्र में कभी स्थान रखने वाले बेमेतरा जिले के गिरते ग्राफ के बीच बिना पुस्तकों के निजी और सरकारी स्कूलों में बच्चे किस तरह से पढ़ाई करते होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
किन विषयों के पुस्तकों की कमी कक्षा पहली व दूसरी के तीन विषय हिन्दी, गणित एवं अंग्रेजी, कक्षा चौथी व पांचवीं के चार विषय हिन्दी, अंग्रेजी, गणित एवं प्र्यावरण, कक्षा छठवीं से आठवीं तक के सात विषय हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, संस्कृत, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान भाग 1 व 2, कक्षा नवमी के छह विषय हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान व संस्कृत और कक्षा दसवीं के दो विषय हिन्दी व विज्ञान विषय की पुस्तक अब तक बच्चों को नहीं मिली है।