शंकराचार्य के स्वागत में निकाली भव्य बाइक रैली
श्रीमद् भागवत कथा के लिए बेमेतरा पहुंचे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती का भव्य स्वागत शहर के नवागढ़ चौक से सैकड़ों अनुयायियों ने बाइक रैली निकालकर किया। इस दौरान जय श्रीराम के नारे से माहौल भक्तिमय हो उठा। शंकराचार्य जी के आयोजक बेमेतरा विधायक के निवास पहुंचने पर विधायक व परिवार जनों ने पादुका पूजन किया गया। प्रथम दिवस पर शंकराचार्य महाराज ने कहा कि कि श्रीमद् भागवत की कथा से अंत:करण की शुद्धि हो जाती हैं। भगवान की कथा के सम्बंध में प्रश्न पूछने वाले, कथा कहने वाले और तीसरा श्रोता का अंत:करण पवित्र होता हैं। अच्छे और बुरे कर्म की पहचान, अच्छा कर्म वही जिसकी मन, वाणी और व्यवहार स्वच्छ हो, बुरा व्यक्ति वह जिसकी मन, वाणी और व्यवहार अलग-अलग होता है।
सप्ताहिक कथा में इन प्रसंगों पर होगी भागवत कथा
साप्ताहिक कथा में प्रथम दिवस देव प्रतिष्ठा, भागवत महात्म्य, श्री शुकदेव आगमन, द्वितीय दिवस विराट स्वरूप वर्णन, श्री ध्रुव चरित्र, तृतीय दिवस भक्त प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष, चतुर्थ दिवस वामन अवतार, श्री कृष्ण जन्म उत्सव, नंद उत्सव, पंचम दिवस बाल लीला, माखन चोरी, श्री गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग, आठवें दिन रुकमणी विवाह महोत्सव, सुदामा चरित्र, सातवें दिन नव योगेश्वर संवाद, अवधूतोपाख्यान, द्वादश स्कंध एवं कथा विराम। गौरतलब हो कि श्रीमद भागवत में कथा का समय दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक रखा गया है ।
द्वितीय दिवस भागवत कथा का महातम्य वर्णन
प्राचार्य ने कथा के दूसरे दिन भागवत के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि रोचनार्था फलश्रुति: अर्थात जब हम किसी वस्तु का माहात्म्य समझते हैं तभी उसके प्रति हमारा विशेष भाव या आकर्षण बनता है। श्रीमद् भागवत का माहात्म्य जब हम जाने रहेंगे तभी हमारा मन विशेष रूप से इस ओर जाएगा। जैसे कोई व्यक्ति हमें कोई वस्तु रखने को देते समय यह कह दे कि यह बहुमूल्य है तो हमारा उसके प्रति विशेष भाव बन जाता है। शंकराचार्य ने व्यास पीठ से कहा लोग महात्माओं के पास जाते हैं और उनसे अपने संकट का निवारण पूछते हैं। महात्माओं के पास ज्ञान और अनुभव होता है जिससे वे युक्ति बता देते है। इसी युक्ति से सबका कल्याण होता है।
आयोजन में 36 पुराणों की कथा सुनाई जाएगी
शंकराचार्य जी महाराज ने आज भागवत कथा के अन्त में कहा कि छत्तीसगढ़ क्षेत्र को वे उपहार स्वरूप में छत्तीस पुराण की कथा सुनाएंगे। उन्होंने कहा कि भगवान श्री वेदव्यास जी ने 18 पुराण और 18 उपपुराण रचे हैं। इन दोनों को मिला दें तो 36 की संख्या हो जाती है, जिस प्रकार अनुष्ठानात्मक पाठ सम्पुट लगाकर किया जाता है। उसी प्रकार गुरुवार को हो रही श्रीमद भागवत पहला सम्पुट और दूसरा 18 पुराणों के मध्य और तीसरा 36 पुराण के अन्त में, इस प्रकार कुल 3 भागवत कथा सप्ताह हो जाएगा।