सहायक आबकारी अधिकारी ने अपने बयान में स्वीकार किया कि क्षेत्र के ढाबों में अन्य जिलों से शराब खपाते थे। आबकारी विभाग ने शराब खपता किस ठिकाने पर था, नकली रेपर प्रिंट कौन करता है, इसमें स्थानीय कितने लोग शामिल हैं इस पर अब तक कोई बयान जारी नही किया है। शराब बनाने की प्रशिक्षण इन्हे मिला कहां से, रा मटेरियल उपलब्ध कौन करता था, इन लोगो ने कितने लोगो को रोजगार दे रखा था, इनके कारोबार की पोल खुली कैसे जांच एवं शोध योग्य है।
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खुल गई पोल
राज्य में इन दिनों शराब को लेकर पूर्व सरकार के कई दिग्गज नेता अधिकारी कटघरे में है। कारण है शराब का अवैध कारोबार। सरकार बदलने के बाद कितने लोग इस कार्य में बेरोजगार हुए इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता पर नांदघाट, मारो पुलिस के नाक के नीचे आबकारी विभाग ने जो शराब पकड़ा इसमें जिले की व्यवस्था की पोल खुल गई। नांदघाट शराब कारोबार का बड़ा अड्डा बन गया है। लगभग हर दूसरे ग्राम में शराब की बिक्री हो रही है। जब कारोबार लंबे समय से चल रहा है तो नेटवर्क भी उतना लम्बा होगा। आबकारी विभाग इतना ही करके खुद का पीठ थपथपाती है या इसमें शामिल सभी चेहरे को बेनकाब करती है इंतजार करना होगा।
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