कोई खड़े-खड़े तो कोई जमीन पर बैठकर करते इंतजार मरीज चिकित्सकों को दिखाने आते है तो कई जगह पर बैठने तक की व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में मरीज को जमीन पर बैठना पड़ता है या फिर खड़े-खड़े अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। मरीजों को उपचार लेने की चिंता रहती है। इस आपाधापी में कोविड गाइड लाइन की पालना नहीं हो पाती है। यहां पर गाइड लाइन की पालना चाह कर भी नहीं कर पाते है।
निजी वाहन संचालक भी लूट रहे… अस्पताल आने के लिए आस-पास के गांवों के लोगों को रोडवेज की सुविधा नहीं मिल पाती है। कोरोना संक्रमण के चलते रोडवेज प्रबंधन ने गाइड लाइन तय कर रखी है। इस गाइड लाइन के तहत ही स्टोपेज भी तय कर रखे है। छोटे गांवों में रोडवेज की सुविधा नहीं है। ऐसे में लोगों को मजबूरी में निजी वाहनों में आना पड़ रहा है। लोगों की इस मजबूरी का फायदा भी निजी वाहन संचालक उठा रहे है। यह संचालक मनमाना किराया वसूल रहे है। सीट टू सीट बैठाने के नाम पर संचालक दुगुना तक किराया वसूल रहे है। ऐसे में वापस समय पर अपने घर जाने के चलते मरीज जैसे-तैसे उपचार लेकर वापस अपने घर तक जाने की जुगत में गाइड लाइन को किनारे करने को मजबूर है।