देलवाड़ा रोड पर बन रहे वन उद्यान में करीब साढे बारह हजार पौधे लगाए गए है। इनमें नीम, पीपल, अर्जुन व बिल्व पत्र सहित अन्य पौधे शामिल है। इन पौधें की देखभाल व सुरक्षा के लिए वन उद्यान के चारों ओर तारबंदी की गई है। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। यहीं कारण है कि हाल ही में इसमें आग लग गई। यह तो गनीमत रही कि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। अन्यथा पौधों को भारी नुकसान हो सकता था।
देलवाड़ा रोड पर विकसित किए जा रहे बगीचे का काम विभिन्न चरणों में पूरा करने की योजना है। पहले चरण में तारबंदी व पौधे लगाने का काम किया गया। दूसरे चरण में पांच सौ मीटर चारदिवारी निर्माण हुआ। इसके बाद शेष बची चारदीवारी व सुबह घूमने वालों के लिए पाथ वे का निर्माण किया जाना है। दूसरे चरण का काम शुरु होने से पहले ही पूर्व में किए गए काम में ही बजट की दरकार हो गई। काम करने का यहीं सिलसिला चलता रहा तो वन उद्यान के विकसित होने सपना सालों तक साकार नहीं हो सकेगा।
देलवाड़ा रोड पर विकसित किए जा रहे वन उद्यान में कुमठियां के बड़ी संख्या में पेड़ है। जो पहले से ही लगे हुए है। नए पेड़ और लगाए गए है। ऐसे में यहां घूमने आने वालों को स्वच्छ हवा व वातावरण मिल सकेगा। अनदेख्ी के चलते कुमठियों के पेड़ भी कम होते जा रहे है। जबकि नए पौधे विकसित किए जाने की गति धीमी है।