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खुले में प्रसूताओं को नवजात को कराना पड़ता स्तन पान

हॉस्पिटल भवन की सीढिय़ों पर बैठी करती है घंटों वाहन की प्रतिक्षा
घंटों करती है प्रसूताएं घर जाने का इंतजार

ब्यावरNov 24, 2019 / 12:50 pm

kali charan

खुले में प्रसूताओं को नवजात को कराना पड़ता स्तन पान

कालीचरण
ब्यावर. प्रसूताओं की निजता को बरकरार रखने के लिए सरकार ने भले ही सुविधाएं दे रखी हो लेकिन राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय के मदर चाइल्ड विंग प्रशासन इसको लेकर गम्भीर नहीं है। विंग से छुट्टी मिलने के बाद प्रसूताओं को मजबूरन खुले में अपने नवजात शिशुओं को स्तन पान कराना मजबूरी है। इसका नजारा बुधवार को देखने को मिला। जब वह विंग की सिढिय़ों पर खुले में जेएसवाई के वाहन के इंतजार करने के दौरान कई प्रसूताएं अपने आंचल की ओट में शिशु को स्तनपान कराती नजर आई। मदर चाइल्ड विंग में भर्ती प्रसूताओं को सुबह करीब 11 बजे चिकित्सकीय स्टाफ राउंड लेकर प्रसूताओं की छुट्टी तय करती है। इसके बाद प्रसूताओं को घर छोडऩे के लिए जेएसवाई योजना के अन्तर्गत लगे वाहनों के रूट चार्ज तैयार होते है। इसके बाद इन्हें वार्ड से नीचे भेज दिया जाता है और घर भेजे जाने वाली प्रसूताओं को बाहर एकत्र किया जाता है। तब जाकर उनके रूट के अनुरूप प्रसूताओं को वाहनों से घर के लिए रवाना किया जाता है। लेकिन इस सारी प्रक्रिया में समय अधिक लगता है और घर भेजी जाने वाली प्रसूताओं को अपने नवजात शिशुओं के साथ भवन के बाहर सीढिय़ों पर बैठ कर वाहन का इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद की लम्बी कागजी कार्रवाई और फिर रूट पर जाने वाले वाहन के आने के इंतजार में घंटों समय बीत जाता है। इस दौरान रोने या भूख लगने पर प्रसूताओं को नवजात शिशु को स्तनपान कराना पड़ता है और उन्हेें मजबूरन खुले में ही अपने कपड़ों की ओट में ही शिशु को स्तनपान करना पड़ता है।
पत्रिका व्यू

प्रसूताओं को भले की छुट्टी देने और वाहनों से घर भेजने की प्रक्रिया में समय लगता हो, लेकिन नवजात संग प्रसूताओं को बैठने के लिए परिसर में उचित और सुविधाजनक स्थान सुनिश्चित होना चाहिए। ताकि वह इत्मिनान से बैठ सके और अपने नवजात शिशु को बेझिझक स्तन पान भी करवा सके। जबकि राज्य सरकार ने प्रदेशभर के सार्वजनिक स्थानों पर अपने बच्चों को बैझिझक स्तनपान कराने के लिए एक अलग से सोफा और पंखे लगे इत्यादि सुविधाजनक कक्ष बनाए जाने के आदेश जारी कर रखे है।
एक्सपर्ट व्यूह

40 प्रसूताओं के डिस्चार्ज हुए और उन्हें घर छोडऩे के लिए वाहनों के रूट चार्ट भी तैयार किए जाते है। इससे जुड़े प्रशासिनक कार्य भी जाते है। इसके बाद ही प्रसूताओं को वाहन में घर भेजा जाता है। प्रसूताओं को परेशानी जैसी कोई शिकायत नहीं मिली है।
-डॉ. विद्या सक्सेना, प्रभारी, मदर चाइल्ड विंग, ब्यावर।

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