केवड़े का रस 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में बुखार पीड़ित को पिलाने से बुखार दूर होता है और शरीर में स्फूर्ति आती है।
कमर दर्द –
केवड़े के तेल से रोजाना कमर की मालिश करने से कमर दर्द में राहत मिलती है।
त्वचा रोग –
त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी, दाद-खुजली में केवड़े के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
माहवारी –
केवड़े की जड़ को पानी में घिसकर चीनी के साथ पीने से माहवारी में अधिक रक्त स्राव की परेशानी दूर होती है।
पसीने की बदबू –
केवड़े के पानी से नहाने से जलन व पसीने की बदबू दूर होती है। गर्मियों में यह काफी लाभकारी होता है।
गर्भपात से बचाव –
स्त्री को गर्भ रहने के दूसरे महीने से चौथे महीने तक केवड़े की औषधि का सेवन कराने से गर्भपात नहीं होता है।
कान दर्द में राहत –
अगर किसी के कान में दर्द हो रहा हो तो केवडे के इत्र की दो बून्दों को कान में डालने से कान दर्द से आराम मिलता है।
मिठाईयों में खुशबू के लिए –
केवड़े का अर्क सुगंधित व्यंजन जैसे रसगुल्ला, गुलाब जामुन, रबड़ी, रस-मलाई, तथा मुगलाई व्यंजनों में किया जाता है ।