शहनाज हुसैन का कहना है कि जहरीली धुंध की चादर से माइक्रोस्कोपिक केमिकल्स के कण हमारे छिद्रों के मुकाबले 20 गुणा ज्यादा पतले होते हैं जिसकी वजह से वह हमारी बाहरी त्वचा से हमारे छिद्रों में प्रवेश कर के त्वचा की नमी को खतम कर देते हैं जिससे त्वचा में लालिमा, सूजन, काले दाग, त्वचा में लचीलेपन में कमी आ जाती हैं जिससे त्वचा निर्जीव, शुष्क, कमजोर एवं बुझी-बुझी सी हो जाती है।
उन्होंने कहा कि वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण त्वचा तथा खोपड़ी के सामान्य संतुलन को बिगाड़ देते हैं जिससे त्वचा में रूखापन, लाल चकत्ते, मुहांसे तथा खुजली एवं अन्य प्रकार की एलर्जी एवं बालों में रूसी आदि की समस्याएं उभर सकती हैं।
हर्बल क्वीन के नाम से मशहूर शहनाज हुसैन ने कहा, ”आयुर्वेदिक घरेलू उपचार तथा प्राचीन औषधीय पौधों की मदद से प्रदूषण के सौंदर्य पर पड़ने वाले प्रभाव को पूरी तरह रोका जा सकता है तथा आपका सौन्दर्य सामान्य रूप से निखरा रह सकता है। प्राचीन औषधीय पौधों को घर में लगाने से वायु में विषैले तत्वों को हटाकर वायु को स्वच्छ रखा जा सकता है क्योंकि यह पौधे वातावरण में विद्यमान हानिकारक गैसों को सोखकर घर में वातावरण को शुद्ध कर देते हैं।”
तुलसी, घृतकुमारी का उपयाेग
वायु प्रदूषण से त्वचा शुष्क होने पर उन्होंने कहा, ”त्वचा शुष्क होने पर क्लीजिंग क्रीम तथा जेल का प्रयोग करना चाहिए जबकि तैलीय त्वचा में क्लीनिंग दूध या फेशवाश का उपयोग किया जा सकता है। सौंदर्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए चन्दन, यूकेलिप्टस, पुदीना, नीम, तुलसी, घृतकुमारी जैसे पदार्थों का उपयोग कीजिए। इन पदार्थों में विषैले तत्वों से लडऩे की क्षमता तथा बलवर्धक गुणों की वजह से त्वचा में विषैले पदार्थों के जमाव तथा फोड़े, फुन्सियों को साफ करने में मदद मिलती है। वायु प्रदूषण खोपड़ी पर भी जमा हो जाते हैं।”
वायु प्रदूषण से त्वचा शुष्क होने पर उन्होंने कहा, ”त्वचा शुष्क होने पर क्लीजिंग क्रीम तथा जेल का प्रयोग करना चाहिए जबकि तैलीय त्वचा में क्लीनिंग दूध या फेशवाश का उपयोग किया जा सकता है। सौंदर्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए चन्दन, यूकेलिप्टस, पुदीना, नीम, तुलसी, घृतकुमारी जैसे पदार्थों का उपयोग कीजिए। इन पदार्थों में विषैले तत्वों से लडऩे की क्षमता तथा बलवर्धक गुणों की वजह से त्वचा में विषैले पदार्थों के जमाव तथा फोड़े, फुन्सियों को साफ करने में मदद मिलती है। वायु प्रदूषण खोपड़ी पर भी जमा हो जाते हैं।”
अण्डे का मिश्रण
सौन्दर्य विशेष शहनाज हुसैन ने कहा कि एक चम्मच सिरका तथा घृतकुमारी में एक अण्डे को मिलाकर मिश्रण बना लीजिए तथा मिश्रण को हल्के-2 सिर पर लगा लीजिए। इस मिश्रण को सिर पर आधा घण्टा तक लगा रहने के बाद ताजे एवं साफ पानी से धो डालिए।
सौन्दर्य विशेष शहनाज हुसैन ने कहा कि एक चम्मच सिरका तथा घृतकुमारी में एक अण्डे को मिलाकर मिश्रण बना लीजिए तथा मिश्रण को हल्के-2 सिर पर लगा लीजिए। इस मिश्रण को सिर पर आधा घण्टा तक लगा रहने के बाद ताजे एवं साफ पानी से धो डालिए।
तेल की थेरेपी
आप वैकल्पिक तौर पर गर्म तेल की थेरेपी भी दे सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करके इसे सिर पर लगा लीजिए। अब गर्म पानी में एक तौलिया डुबोइए तथा तौलिए से गर्म पानी निचोड़ने के बाद तौलिए को सिर के चारों ओर पगड़ी की तरह बांध कर इसे पांच मिनट तक रहने दीजिए तथा इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराइए। इस प्रक्रिया से बालों तथा सिर पर तेल को सोखने में मदद मिलती है। इस तेल को पूरी रात सिर पर लगा रहने दें तथा सुबह ताजे ठंडे पानी से धो डालिए।
आप वैकल्पिक तौर पर गर्म तेल की थेरेपी भी दे सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करके इसे सिर पर लगा लीजिए। अब गर्म पानी में एक तौलिया डुबोइए तथा तौलिए से गर्म पानी निचोड़ने के बाद तौलिए को सिर के चारों ओर पगड़ी की तरह बांध कर इसे पांच मिनट तक रहने दीजिए तथा इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराइए। इस प्रक्रिया से बालों तथा सिर पर तेल को सोखने में मदद मिलती है। इस तेल को पूरी रात सिर पर लगा रहने दें तथा सुबह ताजे ठंडे पानी से धो डालिए।
ओमेगा 3
ओमेगा 3 तथा ओमेगा 6 फैटी एसिड्स त्वचा को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। फैटी एसिड्स त्वचा में आयल शील्ड बना देते हैं जिससे त्वचा को अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्राप्त होती है।
ओमेगा 3 तथा ओमेगा 6 फैटी एसिड्स त्वचा को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। फैटी एसिड्स त्वचा में आयल शील्ड बना देते हैं जिससे त्वचा को अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्राप्त होती है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड्स बर्फीले पहाड़ों की नदियों में पाए जाने वाली मछली, अखरोट, राजमा तथा पालक में प्रचुर मात्रा में मिलता है जबकि ओमेगा 6 चिकन, मीट, खाद्य तेलों, अनाज तथा खाद्य बीजों में पाया जाता है।
शहनाज हुसैन ने कहा कि एलोवेरा, अंजीर, बरगद, पीपल, स्पाईडर प्लांट, स्नेक प्लांट को हवा को साफ करने में काफी सहायक माना जाता है क्योंकि यह हवा में विद्यमान जहरीले तत्वों को सोख लेते हैं। इसके अलावा ऐरेका पाम, इंग्लिश आईवी, वोस्टनफर्न तथा पीस लिलो जैसे पौधे भी भारत में आसानी से मिल जाते है तथा पर्यावरण मित्र माने जाते हैं।