बस्ती. यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक दल जोर- शोर से जुटे हुए हैं। बस्ती का हर्रैया विधानसभा सीट पर आने वाले चुनाव में एक बार फिर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। यूपी सरकार में पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के सामने आगामी विधानसभा चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजकिशोर सिंह ने बसपा प्रत्याशी ममता पांडेय को हराया था।
क्या है विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण
हर्रैया विधानसभा सीट ब्राह्रमण और राजपूत बहुल इलाका है। हर्रैया विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या 308582 है, जिनमें 93000 ब्राह्रमण, 46000 ठाकुर और 15000 वैश्य मतदाता हैं। क्षत्रिय वोट निर्णायक की भूमिका में होते हैं।
15 साल से विधायक हैं राजकिशोर
राजकिशोर सिंह पिछले 15 साल से लगातर बस्ती के हर्रैया विधानसभा से विधायक हैं और लगातार तीन बार वह मंत्री भी रह चुके हैं। राजकिशोर सिंह का 14 साल से अधिक का राजनीतिक करियर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है। इस दौरान जहां उन्होंने लगातार जीत दर्ज कर क्षेत्र में कद्दावर और दबंग नेता की पहचान कायम की तो वहीं उन पर बसपा शासनकाल में गैंगेस्टर एक्ट भी लगा। हालांकि इन सब आरोपों के बावजूद क्षेत्र में राजकिशोर सिंह की छवि स्वच्छ ही मानी जाती है।
विधायक पर लगे कई संगीन आरोप
कहा जाता है कि पूरे जिले में राजकिशोर के नाम का सिक्का चलता है और डीएम, एसपी से लेकर थानेदार तक की पोस्टिंग व ट्रांसफर में उनकी दखलंदाजी रहती थी। राजकिशोर ने सत्ता के बल पर अपने बेटे को जिला पंचायत अध्यक्ष और भाई को उर्जा विभाग का सलाहकार बनाया । विधायक की संपत्ति दिन दूनी, रात चौगुनी जब बढ़ने लगी तो यह बात सीएम तक पहुंच गयी। यूपी से दिल्ली और मुबंई जैसे मेट्रो शहरों में जमीन की खरीद फरोख्त ने राजकिशोर सिंह को सबकी नजरों में ला दिया। आरोपों के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोप में जब इन्हें बर्खास्त किया तो प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया।
क्या है क्षेत्र की समस्यायें
हर्रैया विधानसभा के राष्ट्रीय राजमार्ग से गांव को जुड़ी सड़कों की हालत ठीक नही है। भगवान श्री राम के लिये दशरथ द्वारा कराये गये पुत्रेष्टि यज्ञ से जुड़ा मखौड़ा धाम उपेक्षित है, वहीं बिजली आपूर्ति व्यवस्था भी ठीक नही रहती है। नगर पंचायत होने के बाद भी यह क्षेत्र मुलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। इस विधानसभा के माझा इलाके में रहने वाले लोगो की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ है, बाढ़ से हर साल ग्रामीणों की फसल और उनके घर तबाह हो जाते हैं जिसका अधिकतर लोगों को मुआवजा तक नहीं मिल पाया है।
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