बस्ती

पूर्वांचल के गन्ना बेल्ट में किसानों को साधने पहुंचे जयंत चौधरी, किसान पंचायत में बोले, भाजपा नेताओं से कृषि बिल पर कीजिये सवाल

पश्चिम में जोर पकड़ चुके किसान आंदोलन को पूर्वांचल तक पहुंचाने में जुटी रालोद
पंचायत के जरिये किसानों के बीच पकड़ मजबूत करने की कवायद
बस्ती के रुधौली में रालोद ने की पूर्वांचल की पहली किसान पंचायत

बस्तीFeb 24, 2021 / 08:44 am

रफतउद्दीन फरीद

जयंत चौधरी

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

बस्ती. राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी यूपी के जिलों में फैल चुकी कृषि बिल विरोध की आग की चिंगारी को पूर्वांचल तक फैलाने की कवायद में जुटी है। इसके जरिये रालोद एक बार फिर किसानों के बीच अपनी पैठ बनाकर खोई हुई राजनीतिक ताकत वापस पाना चाहती है। बुधवार को रालोद ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के गन्ना बेल्ट कहे जाने वाले बस्ती के रुधौली विधानसभा क्षेत्र में रालोद की पूर्वांचल की पहली किसान पंचायत का आयोजन किया, जिसे संबोधित करने खुद रालोद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पहुंचे। उन्होंने कृषि बिल की कमियां गिनाते हुए भाजपा को किसान विरोधी तो रालोद को किसान हितैषी बताया।

 

इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए मुजफ्फरनगर जिले में भाजपा नेता और और किसानों के बीच हुए हिंसक झड़प पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों ने बद्तमीजी की है। अगर भाजपा नेताओं को अहंकार छोड़ना चाहिये। ऐसा रवैया लेकर अगर जनता के बीच जाएंगे और उनसे मारपीट करेंगे तो यह उचित नहीं। उन्होंने द्वारा मारपीट करने के संजीव बालियान के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि किसानों ने किसी पर हाथ नहीं उठाया। मंत्री जी के साथ आए लोग किसान एकता जिंदाबाद के नारे से भड़क गए, जिसके बाद नौबत मारपीट तक पहुंच गई। आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री संजीव बलियान के साथ आए लोगों ने किसानों व गांव के लोगों के साथ मारपीट की। उनके कई लोग चोटिल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है।

 

उन्होंने दावा किया कि गांवों में भाजपा का विरोध है। कहा कि कि भाजपा नेताओं से कृषि बिल पर बात करने में कोई बुराई नहीं। सवाल जवाब करना जनता का हक है। किसानों को भाजपा नेताओं को अपने गांव में बुलाकर उनसे पूछना चाहिये कि आखिर वे कृषि कानून के खिलाफ क्यों नहीं हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर भाजपा नेताओं में हिम्मत है तो वो प्रधानमंत्री जी के साथ बैठक कर उन्हें समझाएं कि कृषि कानून किस तरह से एक काला कानून है।

 

जयंत चौधरी ने कृषि कानून की तुलना खटारा वाहन से करते हुए कहा कि यह किसानों के लिये किसी भी दशा में ठीक नहीं। किसान तब तक आंदोलन करता रहेगा जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती। कहा कि किसान आंदोलन को लेकर इंटरनेशनल साजिश के आरोपों को बेबुनियाद बताया। किरण चौधरी ने कृषि कानून को पूरी तरीके से असंवैधानिक बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में किसानों को अपने वोट की कीमत पता होनी चाहिये।

By Satish Srivastava

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