दरअसल एनएमडीसी प्लांट में बारिश में जमा पानी को प्रबंधन को बिना किसी पूर्व सूचना के बहा देने से कस्तूरी व करनपुर के 121 किसानों की 45.85 हेक्टेयर फसल खराब हो गई थी। राजस्व विभाग मौके पर पहुंची और आ्रकलन कर तबाह फसल का प्रतिवेदन बनाकर कलक्टर धनंजय देवांगन को सौंपा था। इसके बाद किसानों की ने आस लगा ली थी और अगले फसल की तैयारी में भी जुट गए थे। लेकिन यह राहत राशि कलेक्टोरेट में फंस गई है।
नगरनार में प्लांट के बाउंड्रीवाल से सटे गांवों के किसानों अपनी जमीन पर खेती करते हैं। बारिश के समय प्लांट के अंदर भारी मात्रा में पानी का जमाव प्लांट एरिया के भीतर हो गया था। इसे बाहर निकालने के दौरान प्लांट प्रबंधन यह भूल गया कि यह पानी प्लांट से लगे उन खेतों तक पहुंच जाएगा जहां धान की फसल पककर खड़ी हुई थी। प्लांट ने पानी क्या छोड़ा इससे यहां की करीब 45.85 हेक्टेयर की फसल खराब हो गई।
किसानों के मुआवजे को लेकर हफ्तेभर पहले ही एनएमडीसी प्रबंधन को कलक्टर धनंजय देवांगन ने फटकार लगाई थी। उन्होंने साफ कहा था कि किसानों की फसल को नुकसान हुआ है और एनएमडीसी को इसकी भरपाई करनी होगी। इसके बाद एनएमडीसी ने कार्रवाई शुरू की और किसानों को मुआवजे की राशि जिला प्रशासन को सौंपी।
बस्तर कलक्टर धनंजय देवांगन ने बताया कि, क्यों लेट हुआ मैं खुद देखता हूं, किसानों को मुआवजा जल्द ही दे दिया जाएगा।