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मलकानगिरी में मुठभेड़ में मारे गए 27 नक्सलियों के विरोध में तीन नवंबर को पांच राज्यों में नक्सलियों के बंद का असर बस्तर में नहीं दिखाई दिया। बंद को जनसमर्थन नहीं मिलने और बंद के दौरान नक्सली गतिविधियों को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर फोर्स की तैनाती से बस्तर में जनजीवन सामान्य रहा।
संभाग में कहीं भी बंद का व्यापक असर नहीं था। सड़क परिवहन पर इसका असर नहीं देखा गया। नारायणपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर जिले के अंदरूनी इलाकों मेें भी बसों का परिचालन जारी रहा। रेलवे ने ऐहतियात के तौर पैसंजर का संचालन पर रोक लगाई थी। इस वजह से विशाखापटनम-किरंदुल ट्रेन का परिचालन जगदलपुर तक ही किया गया, यह ट्रेन किरंदुल नहीं गई। रात में केके मार्ग पर मालगाडिय़ों का परिचालन नहीं किया गया।
नक्सलियों के बंद की वजह से बसों के परिचालन को लेकर यात्री भ्रम में दिखे। इससे कुछ देर के लिए यात्रियों को परेशान होते देखा गया। मुख्य मार्गों पर सुबह से ही गाडिय़ों का परिचालन जारी था पर अंदरूनी इलाकों के लिए पुलिस के दखल के बाद देरी से यात्री बसों को भेजा गया।ओरछा, छोटे डोंगर की ओर बसों का संचालन बंद रहा। इस रुट पर अंतागढ़ व भानुप्रतापपुर की ओर जाने वाली यात्री बसें भी नहीं गई।
सही साबित हुआ पुलिस का दावा
मालूम हो, बस्तर पुलिस ने बंद का विरोध करते हुए पहले ही नक्सलियों के बंद को बेअसर करने का दावा किया था। पुलिस का यह दावा आखिरकार सही साबित हुआ। बस्तर में कहीं से भी कोई अप्रिय वारदात की खबर नहीं आई।