10 किलोमीटर दूर चौमूं जाना पड़ रहा….
जानकारी अनुसार 20 माह पहले मुख्यमंत्री बजट घोषणा में सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया था। साथ ही चिकित्सक सहित 10 नवीन पद स्वीकृत भी किए थे, लेकिन क्रमोन्नति के 20 माह बीतने के बाद भी ना तो पीएचसी को खुद का भवन मिला और ना ही कोई स्थाई चिकित्सक। जिसके चलते आज भी पीएचसी का संचालन पुराने छोटे से भवन में करने की मजबूरी है। साथ ही मरीजों सहित गर्भवती महिलाओं को इलाज व प्रसव के लिए 10 किलोमीटर दूर चौमूं जाना पड़ रहा है।
जानकारी अनुसार 20 माह पहले मुख्यमंत्री बजट घोषणा में सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया था। साथ ही चिकित्सक सहित 10 नवीन पद स्वीकृत भी किए थे, लेकिन क्रमोन्नति के 20 माह बीतने के बाद भी ना तो पीएचसी को खुद का भवन मिला और ना ही कोई स्थाई चिकित्सक। जिसके चलते आज भी पीएचसी का संचालन पुराने छोटे से भवन में करने की मजबूरी है। साथ ही मरीजों सहित गर्भवती महिलाओं को इलाज व प्रसव के लिए 10 किलोमीटर दूर चौमूं जाना पड़ रहा है।
अस्थायी चिकित्सक भी अवकाश पर….
सूत्रों के अनुसार इस स्वास्थ्य केन्द्र में गोविंदगढ़ से अस्थाई रूप से महिला चिकित्सक को लगा रखा है, लेकिन वह ऑफिस कार्यों सहित अन्य कारणों से बाहर रहती हैं। फिलहाल डेपुटेशन पर लगी महिला चिकित्सक भी 3 नबबर से मेडिकल अवकाश पर है। वहीं यहां कार्यरत एएनएम अधिकतर समय टीकाकरण सहित अन्य कार्यों के लिए फील्ड में रहती है, जिससे अधिकतर समय पीएचसी पर ताला लटका रहता है। मरीजों सहित गर्भवती महिलाओं को निराश होकर निराश लौटना पड़ता है।
सूत्रों के अनुसार इस स्वास्थ्य केन्द्र में गोविंदगढ़ से अस्थाई रूप से महिला चिकित्सक को लगा रखा है, लेकिन वह ऑफिस कार्यों सहित अन्य कारणों से बाहर रहती हैं। फिलहाल डेपुटेशन पर लगी महिला चिकित्सक भी 3 नबबर से मेडिकल अवकाश पर है। वहीं यहां कार्यरत एएनएम अधिकतर समय टीकाकरण सहित अन्य कार्यों के लिए फील्ड में रहती है, जिससे अधिकतर समय पीएचसी पर ताला लटका रहता है। मरीजों सहित गर्भवती महिलाओं को निराश होकर निराश लौटना पड़ता है।
चौमूं जाने की मजबूरी….
नांगल भरड़ा निवासी प्रभाती देवी का कहना है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र से यह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत हुआ था तो उम्मीद जागी थी कि अब बेहतर उपचार मिलेगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह काफी समय से शुगर से ग्रस्त है। इलाज व दवाइयों का लिए पीएचसी के एक माह से चक्कर लगा रही हूं। ना तो डॉक्टर मिलता ओर ना ही दवा। ऐसे में चौमूं में जाकर दवा लानी पड़ रही है। इसी गांव की संज्या देवी का कहना है कि गांव में पीएचसी होने के बाद भी यहां चिकित्सक व दवा नहीं मिल रही है, जिससे इलाज के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। कई बार तो कोई ले जाने वाला नही होता है तो बहुत परेशानी उठानी पड़ती है।
नांगल भरड़ा निवासी प्रभाती देवी का कहना है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र से यह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत हुआ था तो उम्मीद जागी थी कि अब बेहतर उपचार मिलेगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह काफी समय से शुगर से ग्रस्त है। इलाज व दवाइयों का लिए पीएचसी के एक माह से चक्कर लगा रही हूं। ना तो डॉक्टर मिलता ओर ना ही दवा। ऐसे में चौमूं में जाकर दवा लानी पड़ रही है। इसी गांव की संज्या देवी का कहना है कि गांव में पीएचसी होने के बाद भी यहां चिकित्सक व दवा नहीं मिल रही है, जिससे इलाज के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। कई बार तो कोई ले जाने वाला नही होता है तो बहुत परेशानी उठानी पड़ती है।
इनका कहना है….
नांगल भरड़ा पीएचसी में 10 नवीन पद स्वीकृत किए थे, लेकिन चिकित्सक समेत सभी स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं। फिलहाल मुझे यहां अस्थाई रूप से गोविंदगढ़ से लगाया गया है। ऑफिस कार्यों से कई बार गोविंदगढ़ व जयपुर भी जाना पड़ता है।फिलहाल 3 नवंबर से मेडिकल अवकाश पर चल रही हूं।
डॉ.त्रिशला, कार्यवाहक चिकित्सा अधिकारी, पीएचसी नांगल भरड़ा
नांगल भरड़ा पीएचसी में 10 नवीन पद स्वीकृत किए थे, लेकिन चिकित्सक समेत सभी स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं। फिलहाल मुझे यहां अस्थाई रूप से गोविंदगढ़ से लगाया गया है। ऑफिस कार्यों से कई बार गोविंदगढ़ व जयपुर भी जाना पड़ता है।फिलहाल 3 नवंबर से मेडिकल अवकाश पर चल रही हूं।
डॉ.त्रिशला, कार्यवाहक चिकित्सा अधिकारी, पीएचसी नांगल भरड़ा