पूरे गांव में त्योहार की खुशी की रौनक बैनूर हो गई। गमनीन माहौल के बीच मृतक का अंतिम संस्कार किया गया। सायपुरा निवासी दीपक शर्मा ने बताया कि 23 अक्टूबर को डेंगू बुखार होने पर परिजनों ने जयपुर के दो निजी अस्पतालों में भर्ती कराया था। लेकिन डेंगू बुखार से प्लेटलेट्स रिकवरी नहीं हुई। निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने युवक को ‘ब्रेन डेड़’ घोषित कर दिया था। परिजनों ने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए लाखों खर्च कर दिए। जिससे पहले से परिवार की खराब माली हालत और खराब हो गई।
टैंकर चलाकर करता था जीवन यापन
मृतक युवक टैंकर से आसपास के इलाके में पानी आपूर्ति करके परिवार का जीवन यापन कर रहा था। उसके तीन भाई व पांच बहनें है। जिनमें से दस वर्ष पहले एक भाई की मौत हो गई थी। गिर्राज की मौत से परिवार का सहारा टूट गया। सायपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच धीरज बुनकर ने पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दिलाने की मांग की है।
डेंगू की रोकथाम के प्रभावी कदम नहीं उठाए
डेंगू व मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए समय रहते कोई कदम नहीं उठाए गए। समय रहते कदम नहीं उठाने से डेंगू पर नियंत्रण नहीं हो सका। पत्रिका के मामला उठाने के बाद चिकित्सा विभाग ने ब्लड़ सलाइड व फोगिंग की जहमत उठाई है।