इसके बाद बस्सी विधानसभा में भाजपा में तो टेंशन बढ़ ही गई है, बल्कि कांग्रेस भी सतर्क हो गई है। हालांकि भाजपा का टिकट क्लियर होते ही जितेन्द्र मीना के निर्दलीय चुनाव लड़ने की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थी। इधर, बस्सी से दो बार निर्दलीय विधायक रह चुकी अंजू खंगवाल भी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
भाजपा प्रत्याशी का पहले से ही चल रहा था विवाद
बस्सी में विधानसभा के चुनाव के लिए टिकट बंटने से पहले से ही जिस प्रत्याशी को टिकट दिया गया है, उसका विरोध दिल्ली तक पहुंच गया था। करीब टिकट के एक दर्जन दावेदार वितरण से पहले ही दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिलकर भाजपा प्रत्याशी का विरोध जता आए थे। इसके बाद पार्टी ने पूर्व आईएएस अधिकारी को टिकट दे दिया।
विरोध करने वालों में अन्य दावेदार तो मान गए, लेकिन पिछले दिनों जितेन्द्र मीना ने बस्सी के मैरिज गार्डन में कार्यकर्ताओं की बैठक कर रायशुमारी की थी। इसके बाद वे गांव-गांव घूमें और समर्थकों की राय भी ली। इसके बाद मंगलवार को उन्होंने कानोता में कार्यकर्ताओं के बीच निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया।
दोनों ही पार्टियों में लगेगी सेंध
बस्सी विधानसभा सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। भाजपा व कांग्रेस ने दोनों ही टिकट मीणा जाति के प्रत्याशियों को दे दिए। इसमें भाजपा ने पूर्व आईएएस अधिकारी चन्द्र मोहन मीना व कांग्रेस ने पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं वर्तमान निर्दलीय विधायक लक्ष्मण मीना को टिकट दे दिया है। राजनीतिक पण्डितों की माने तो जितेन्द्र मीना दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के वोट बैंक में सेंध मारने का प्रयास करेंगे।
बस्सी में निर्दलीयों की बन चुकी हैटि्रक
बस्सी विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव यानि वर्ष 2008, 2013 व 2018 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीयों ने हैटि्रक मारी है। इन तीनों ही चुनावों में लगातार तीन बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा व कांग्रेस को मात दी है। जिसमें 2008 व 2013 में निर्दलीय अंजू खंगवाल व 2018 में निर्दलीय लक्ष्मण मीना विधायक चुने गए।