नागपंचमी के दौरान श्रध्दालुओं को 4 से 6 किलोमीटर की लंबी कतार में लगकर 6 से 8 घंटे में दर्शन होते हैं। श्रद्धर का यह सैलाब इसलिए उमड़ता है कि श्रद्धालु अपनी समस्या के निदान के लिए भीलट देव की मन्नत लेते हैं और पूरी होने पर यहां आकर अपनी मन्नत उतारते है। पहाड़ी अंचल में शिखर पर बने हुए इस मंदिर का जीर्णोद्वार फरवरी 2015 में पूरा हुआ। लगभग 10 करोड़ रुपए से अधिक की दान राशि से कार्य संपन्न हुए। चौंकाने वाली बात यह है कि बीते लगभग 10 वर्षों से लाखों की भीड़ यहां दर्शन के लिए आती है। ग्रामवासियों के सहयोग से व्यवस्था ऐसी बनती है कि हर कार्य यहां निर्विघ्न रूप से संपन्न होते आए हैं।
जैन ने बताया कि शिखर धाम तक पहुंचने के लिए पहाड़ी हिस्से को काटकर कच्ची सड़क का निर्माण किया गया है। यह 3 किलोमीटर का हिस्सा घुमावदार है। जहां दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। इसलिए सड़क निर्माण एवं बगीचे को सुंदर बनाने का कार्य शीघ्रता से किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री से शीघ्र घोषणाओं को पूर्ण करने पर जोर दिया गया है।